मधुपुर. शहर के राहुल अध्ययन केंद्र में प्रख्यात जनवादी चिंतक प्रो. चंद्रबली सिंह की स्मृति दिवस मनाया गया. इस अवसर पर लोगों ने उनकी तस्वीर पर माल्यार्पण कर श्रद्धासुमन अर्पित किया. वहीं, धनंजय प्रसाद ने कहा कि चंद्रबली सिंह जनवादी लेखक संघ के संस्थापक महासचिव थे. उन्होंने सवा सौ कवियों की कविताओं पर अपनी आलोचनात्मक आलेख लिखी है. तकरीबन 25 विदेशी कवियों की कविताओं का काव्यानुवाद भी किया. उन्होंने लोकदृष्टि व हिन्दी साहित्य, आलोचना का जनपथ, पाब्लो नेरुदा की कविता का संचयन, सामिल डिकिंसन की कविता संचयन व नाजिम हिकमत की हाथ व बटोल्ट ब्रेख्त की कविताओं का अनुवाद लिखे. उनका मानना था कि साहित्य राजनीति की ठेठ भाषा नहीं है राजनीति का मार्गदर्शक है. मौजूदा समय में समाज, संस्कृति व राजनीति में काफी गिरावट आयी है. आज हर जगह गलत लोग हावी हैं. खोट्टा सिक्का ही तेजी से चल रहा है. आज ईमानदार व गुणवानों का कोई कदर नहीं है. चापलूसों व दलालों का हर जगह पौ-बारह है. ऐसे में आमजनों के समक्ष चुनौतियां ही चुनौतियां है. इसके अलावा अन्य लोगों ने भी अपने विचार रखे.
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