मधुपुर . शहर के भेड़वा नावाडीह स्थित राहुल अध्ययन केंद्र में प्रसिद्ध क्रांतिकारी सुखदेव थापर व प्रसिद्ध साहित्यकार आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी जी जयंती पर उन्हें याद किया गया. मौके पर दोनों विभूतियों की तस्वीर पर माल्यार्पण कर लोगों ने श्रद्धासुमन अर्पित किये और विश्व परिवार दिवस पर अपने विचार व्यक्त किये. मौके पर धनंजय प्रसाद ने कहा कि सुखदेव थापर भारत के महान क्रांतिकारियों व स्वतंत्रता सेनानियों में से एक थे. जिन्हें देश की आजादी के लिए खुद को कुर्बान कर दिया. वो भगतसिंह, राजगुरु, अशफाकुल्लाह खां, रामप्रसाद बिस्मिल व चंद्रशेखर आजाद सरीखे क्रांतिकारियों के साथी रहे थे, साथ ही हिन्दुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन के सक्रिय सदस्य थे. मात्र 24 वर्ष की उम्र में 23 मार्च 1931 को भगतसिंह, राजगुरु के साथ सुखदेव थापर को भी देश की आजादी कराने जुल्म में फांसी पर लटका दिया गया. आजादी के लिए अदम्य सहास, देश के लिए कुर्बान होने की जज्बा के लिए हमेशा याद किये जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि महावीर प्रसाद द्विवेदी हिन्दी के महान साहित्यकार, पत्रकार व युग प्रवर्तक थे. वो हिंदी साहित्य के इतिहास में हिन्दी नवजागरण की तीसरी चरण द्विवेदी युग से जाना जाता है. द्विवेदी जी संस्कृत के प्रकांड विद्वान के साथ हिन्दी, अंग्रेजी, बंगला, मराठी व गुजराती के अलावे इतिहास, पुरातत्व, अर्थशास्त्र, सामाजिक विज्ञान आदि में उनकी गहरी पैठ थी. उन्होंने बेकन विचार की रचनावली, शिक्षा और स्वाधीनता पर वृहद रचनाएं किये, जिसकी विभिन्न भाषाओं में अनुवाद की गयी है. उन्होंने कहा कि आज विश्व परिवार दिवस है ,पर आज परिवार के विचार सिमटते जा रहे है. मौके पर अन्य लोगों ने भी अपने विचार व्यक्त किये.
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