प्रतिनिधि, मोहनपुर. त्रिकुट पहाड़ पर गुरुवार को घुमने गयी दादी-पोती शुक्रवार को सकुशल लौट आयी. भागलपुर जिले से आए श्रद्धालु दल से बिछड़कर सुशीला देवी और उनकी पोती मुस्कान कुमारी पूरी रात पहाड़ की गुफा में डरे-सहमे भूखे-प्यासे बैठी रहीं. अंधेरा होने के कारण वे नीचे नहीं उतर सकीं. सुबह जंगल के रास्ते एक आदिवासी गांव पहुंचने पर ग्रामीणों ने उन्हें भोजन कराया और सुरक्षित उनके परिजनों तक पहुंचाया. इस दौरान पुलिस, स्थानीय जनप्रतिनिधियों और सामाजिक कार्यकर्ताओं की तत्परता से दोनों को सकुशल घर पहुंचाया जा सका. जानकारी के अनुसार, भागलपुर के श्रद्धालुओं का दल गुरुवार को शाम करीब चार बजे त्रिकुट पहाड़ घूमने पहुंचा था. इस दौरान वहां सुशीला देवी और उनकी पोती प्रसाद व चूड़ी की खरीदारी करने लगीं, तभी अचानक बंदरों ने प्रसाद छीन लिया. उसे लेने के प्रयास में सुशीला देवी व उनकी पोती भागते-भागते पहाड़ पर चढ़ गयीं और रास्ता भटक गयीं. बंदर से चूड़ी छीनने के क्रम में मुस्कान को जख्मी भी कर दिया था. इसी बीच अंधेरा हो गया. इससे वे आधी चोटी पर ही रुक गईं और रातभर पहाड़ पर डरे-सहमे गुजारनी पड़ी. उक्त महिला ने बताया कि पूरी रात गुफा में बैठकर उन्होंने गोद में पोती को सुलाया लेकिन खुद जागती रही. रातभर डर के साये में भूखे-प्यासे वहीं रहना पड़ा. शुक्रवार की सुबह होते ही दोनों पहाड़ से उतरने का रास्ता खोजने लगीं और काफी प्रयास के बाद पूर्वी दिशा के जंगल की ओर से नीचे उतरकर एक आदिवासी गांव धावाटांड़ पहुंच गयीं. वहां ग्रामीणों ने उन्हें देखकर घटना की जानकारी ली और चूड़ा-मुड़ी खिलाया. इसके बाद ग्रामीणों ने मुखिया जयप्रकाश यादव को सूचना दी. मुखिया ने सक्रिय भूमिका निभाते हुए दोनों को अपने आवास तक पहुंचाया. इसी बीच घटना की जानकारी मोहनपुर थाना प्रभारी प्रियरंजन कुमार को दी गयी. थाना प्रभारी ने उसके परिजनों को सूचित किया और मौके पर बुलाकर दोनों को सकुशल सौंप दिया. इस दौरान सामाजिक कार्यकर्ता खुशवंत प्रधान, एसआइ घसीराम मार्डी, रोहित कुमार समेत अन्य पुलिस स्टाफ पूरी तरह सक्रिय रहे. पीड़ित परिजनों ने पुलिस, मुखिया और स्थानीय लोगों को धन्यवाद किया.
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