संवाददाता, देवघर : विलियम टाउन स्थित बीएड कॉलेज परिसर में दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान की ओर से आयोजित श्रीरामचरितमानस एवं गीता ज्ञान यज्ञ के तीसरे दिन भक्ति, कर्म और ज्ञान के गूढ़ रहस्यों पर विस्तार से प्रकाश डाला गया. कार्यक्रम में गुरुदेव आशुतोष महाराज जी की शिष्या साध्वी प्रीति भारती ने कहा कि आज का मानव सुख-शांति की खोज में पूजा-पाठ, व्रत-उपवास, हवन-यज्ञ जैसे अनेक कर्म करता है, लेकिन सबसे बड़ा प्रश्न यह है कि आखिर कौन-सा कर्म मनुष्य को आवागमन के चक्र से मुक्ति दिला सकता है. साध्वी ने बताया कि शास्त्रों में कर्म के तीन प्रकार बताये गये हैं. संचित कर्म, प्रारब्ध कर्म और क्रियावान कर्म. ये तीनों ही कर्म मनुष्य को बंधन में बांधते हैं. केवल भक्ति रूपी कर्म ही ऐसा कर्म है, जो मनुष्य को बंधनों से मुक्त कर सकता है. उन्होंने गीता का उदाहरण देते हुए कहा कि भगवान श्रीकृष्ण अर्जुन को कर्म का सिद्धांत समझाते हुए कहते हैं कि जैसे अग्नि ईंधन को जलाकर भस्म कर देती है, वैसे ही जब पूर्ण गुरु ज्ञान से अंतःकरण में ज्ञान की अग्नि प्रकट होती है, तो वह समस्त बुरे संस्कारों को जलाकर नष्ट कर देती है. मनुष्य को जन्म-मरण के बंधन से आजाद करती है. कार्यक्रम की शुरुआत प्रातः छह बजे योग सत्र से हुई. योगाचार्य डॉ तरुण जी ने योगाभ्यास कराकर उपस्थित श्रद्धालुओं को शारीरिक व मानसिक लाभ प्रदान किया. कार्यक्रम का समापन प्रभु की आरती के साथ किया गया. इस अवसर पर साध्वी संजू भारती, साध्वी शोभा भारती, पंकज बरनवाल, रूपा श्री, स्नेह शिल्पा, गुंजन कुमार, गिरीश सिंह, पंकज भदोरिया सहित अन्य श्रद्धालुओं की भूमिका सराहनीय रही.
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