संवाददाता, देवघर : कोठिया मैदान में चल रहे शिव महापुराण कथा के छठे दिन करीब डेढ़ लाख से अधिक भक्तों की कथा का श्रवण किया. इस अवसर पर कथावाचक पंडित प्रदीप मिश्रा जी महाराज ने कहा कि कष्ट से घबराना नहीं है, इसे काटना जरूरी है. जीव का कष्ट उनके पूर्व जन्मों का फल है. ये शिव की अराधना से ही कटेगा. चाहे जितना भी कष्ट क्यों न हो, बाबा को एक लोटा जल अर्पित करना और उनका नाम लेना नहीं भूलें. तीन महीने के अंदर इसका असर दिखना प्रारंभ हो जायेगा, क्योंकि समय बड़ा बलवान होता है. देश को कोराेना काल में समय के बारे में सबसे बड़ा उदाहरण के तौर पर मिला. अगर बीमार हैं और दवाई नहीं लग रही है तो प्रदोष करें और बाबा पर जल के साथ बेलपत्र अर्पित करें और उस बेलपत्र को घर लायें. सुबह एक टुकड़ा बेलपत्र चबा कर खायें और नीर लें. दवाई लगना प्रारंभ हो जायेगा, लेकिन डॉक्टर को छोड़ना नहीं है. डॉक्टर भी शिव के ही स्वरूप होते हैं, क्योंकि हमारे भोले बाबा बैद्यो के बैद्य हैं, इसलिए इन्हें बैद्यनाथ भी कहा गया है. आगे शिव महिमा का ऐसा दिव्य वर्णन किया, जिसने पंडाल में मौजूद भक्तों को मंत्रमुग्ध कर दिया. कथा के दौरान उन्होंने शिव-तत्त्व की गहराई, महिमा और भक्ति के सरल मार्ग को इतने सहज और प्रभावशाली तरीके से समझाया कि श्रद्धालु देर तक भाव-विभोर सुनते रहे. शिव भक्ति सबसे सरल और सुलभ महाराज जी ने कहा कि शिव वह शक्ति हैं, जो बिना किसी अपेक्षा के प्रेम करती है. शिव वह करुणा है, जो बिना भेदभाव के सबको स्वीकार करती है. शिव वह तत्व हैं, जो इस सृष्टि को थामे हुए भी हैं और स्वयं से परे भी. उन्होंने स्पष्ट किया कि शिव निराकार भी हैं और साकार भी. भक्त की भावना के अनुसार शिव अपना रूप धारण करते हैं. यही कारण है कि शिव भक्ति संसार की सबसे सरल, सहज और सुलभ भक्ति मानी गयी है. उन्होंने कहा कि शिव आराधना में किसी विशेष विधि-विधान की आवश्यकता नहीं होती. बस सच्चे हृदय की पुकार ही महादेव को प्रसन्न कर देती है. शिव की कृपा में कभी विलंब नहीं होता. महादेव बस एक सच्चे भाव की प्रतीक्षा करते हैं. ओम नमः शिवाय का नित्य जाप दूर होती है दरिद्रता उन्होंने कहा कि जिस घर में ओम नमः शिवाय का नित्य जाप होता है, वहां दरिद्रता, नकारात्मकता और तनाव प्रवेश ही नहीं कर पाते. शिव का नाम स्वयं में महामंत्र है, जो जीवन के हर संकट को हर लेता है. शिवलिंग पूजा की महिमा बताते हुए महाराज जी ने कहा कि शिवलिंग की पूजा सबसे पवित्र और फलदायी साधना है. एक लोटा जल, एक बेलपत्र और थोड़ी सी श्रद्धा बस इतना काफी है, महादेव को प्रसन्न करने के लिए. उनकी कृपा से भक्त ही नहीं, उसकी पूरी पीढ़ियां धन्य हो जाती हैं. बैद्यनाथ धाम की विशेषता बताते हुए उन्होंने कहा कि यहां शिव स्वयं वैद्य स्वरूप में विराजमान हैं. बैद्यनाथ जी केवल शरीर के रोग नहीं, मन और जीवन के रोग भी हर लेते हैं. इस धाम से खाली हाथ कोई नहीं लौटता. कथा के दौरान उन्होंने शिव-तत्व का दार्शनिक स्वरूप भी समझाया. महाराज जी बोले : शिव समय भी हैं और समय के स्वामी भी. शिव अंत भी हैं और आरंभ भी. सृजन में भी शिव हैं, प्रलय में भी शिव हैं और दोनों के बीच के हर क्षण में शिव ही हैं. अंत में भक्तों को प्रेरित करते हुए उन्होंने कहा कि शिव महिमा केवल सुनने की नहीं, जीवन में उतारने की है, जो शिव को अपनाता है, शिव स्वयं उसके जीवन को संवार देते हैं. यही सच्ची भक्ति है. संवाददाता, देवघर कोठिया मैदान में चल रहे शिव महापुराण कथा के छठे दिन करीब डेढ़ लाख से अधिक भक्तों की कथा का श्रवण किया. इस अवसर पर कथावाचक पंडित प्रदीप मिश्रा जी महाराज ने कहा कि कष्ट से घबराना नहीं है, इसे काटना जरूरी है. जीव का कष्ट उनके पूर्व जन्मों का फल है. ये शिव की अराधना से ही कटेगा. चाहे जितना भी कष्ट क्यों न हो, बाबा को एक लोटा जल अर्पित करना और उनका नाम लेना नहीं भूलें. तीन महीने के अंदर इसका असर दिखना प्रारंभ हो जायेगा, क्योंकि समय बड़ा बलवान होता है. देश को कोराेना काल में समय के बारे में सबसे बड़ा उदाहरण के तौर पर मिला. अगर बीमार हैं और दवाई नहीं लग रही है तो प्रदोष करें और बाबा पर जल के साथ बेलपत्र अर्पित करें और उस बेलपत्र को घर लायें. सुबह एक टुकड़ा बेलपत्र चबा कर खायें और नीर लें. दवाई लगना प्रारंभ हो जायेगा, लेकिन डॉक्टर को छोड़ना नहीं है. डॉक्टर भी शिव के ही स्वरूप होते हैं, क्योंकि हमारे भोले बाबा बैद्यो के बैद्य हैं, इसलिए इन्हें बैद्यनाथ भी कहा गया है. आगे शिव महिमा का ऐसा दिव्य वर्णन किया, जिसने पंडाल में मौजूद भक्तों को मंत्रमुग्ध कर दिया. कथा के दौरान उन्होंने शिव-तत्त्व की गहराई, महिमा और भक्ति के सरल मार्ग को इतने सहज और प्रभावशाली तरीके से समझाया कि श्रद्धालु देर तक भाव-विभोर सुनते रहे. शिव भक्ति सबसे सरल और सुलभ महाराज जी ने कहा कि शिव वह शक्ति हैं, जो बिना किसी अपेक्षा के प्रेम करती है. शिव वह करुणा है, जो बिना भेदभाव के सबको स्वीकार करती है. शिव वह तत्व हैं, जो इस सृष्टि को थामे हुए भी हैं और स्वयं से परे भी. उन्होंने स्पष्ट किया कि शिव निराकार भी हैं और साकार भी. भक्त की भावना के अनुसार शिव अपना रूप धारण करते हैं. यही कारण है कि शिव भक्ति संसार की सबसे सरल, सहज और सुलभ भक्ति मानी गयी है. उन्होंने कहा कि शिव आराधना में किसी विशेष विधि-विधान की आवश्यकता नहीं होती. बस सच्चे हृदय की पुकार ही महादेव को प्रसन्न कर देती है. शिव की कृपा में कभी विलंब नहीं होता. महादेव बस एक सच्चे भाव की प्रतीक्षा करते हैं. ओम नमः शिवाय का नित्य जाप दूर होती है दरिद्रता उन्होंने कहा कि जिस घर में ओम नमः शिवाय का नित्य जाप होता है, वहां दरिद्रता, नकारात्मकता और तनाव प्रवेश ही नहीं कर पाते. शिव का नाम स्वयं में महामंत्र है, जो जीवन के हर संकट को हर लेता है. शिवलिंग पूजा की महिमा बताते हुए महाराज जी ने कहा कि शिवलिंग की पूजा सबसे पवित्र और फलदायी साधना है. एक लोटा जल, एक बेलपत्र और थोड़ी सी श्रद्धा बस इतना काफी है, महादेव को प्रसन्न करने के लिए. उनकी कृपा से भक्त ही नहीं, उसकी पूरी पीढ़ियां धन्य हो जाती हैं. बैद्यनाथ धाम की विशेषता बताते हुए उन्होंने कहा कि यहां शिव स्वयं वैद्य स्वरूप में विराजमान हैं. बैद्यनाथ जी केवल शरीर के रोग नहीं, मन और जीवन के रोग भी हर लेते हैं. इस धाम से खाली हाथ कोई नहीं लौटता. कथा के दौरान उन्होंने शिव-तत्व का दार्शनिक स्वरूप भी समझाया. महाराज जी बोले : शिव समय भी हैं और समय के स्वामी भी. शिव अंत भी हैं और आरंभ भी. सृजन में भी शिव हैं, प्रलय में भी शिव हैं और दोनों के बीच के हर क्षण में शिव ही हैं. अंत में भक्तों को प्रेरित करते हुए उन्होंने कहा कि शिव महिमा केवल सुनने की नहीं, जीवन में उतारने की है, जो शिव को अपनाता है, शिव स्वयं उसके जीवन को संवार देते हैं. यही सच्ची भक्ति है.
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