संवाददाता, देवघर : कोठिया में आयोजित सात दिवसीय शिव महापुराण कथा के चौथे दिन सोमवार को श्रद्धालु शिवभक्ति के गूढ़ रहस्य और भक्ति-बल की अनुभूति से सराबोर रहे. कथावाचक पंडित प्रदीप मिश्रा जी महाराज ने शिव महिमा, भक्ति की परख और भद्रायु राजा की दिव्य कथा का विस्तार से वर्णन किया. उन्होंने कहा कि भगवान शिव जब किसी भक्त पर प्रसन्न हो जाते हैं, तो उसके साधना पथ को स्वयं प्रशस्त कर देते हैं. महादेव अपने भक्तों की परीक्षा अवश्य लेते हैं, परंतु यह परीक्षा सदा कल्याणकारी होती है. कहा गया कि शिवनाम का जप करने वाला व्यक्ति कभी संसार के मायाजाल में नहीं भटकता. शिव नाम में ही अनंत शक्ति और स्थिरता का वास है.
शिवभक्त राजा भद्रायु की कथा सुनायी
कथा के दौरान धर्मनिष्ठ और शिवभक्त भद्रायु राजा की कथा का विस्तृत से उल्लेख किया गया. महाराज जी ने बताया कि भद्रायु राजा बाहरी आडंबर नहीं, बल्कि भावपूर्ण भक्ति में विश्वास रखते थे. शिवनाम के सतत जाप के कारण उन्हें कई कठिन परीक्षाओं का सामना करना पड़ा, पर अंततः महादेव की कृपा से वे विजयी हुए और उनका राज्य समृद्धि से भर उठा. संदेश यह दिया कि शिवभक्त की परीक्षा तो होती है, पर महादेव की आज्ञा के बिना कोई भी शक्ति उसे बाधित नहीं कर सकती.
भक्ति और निंदा का अंतर बताया
महाराज जी ने कहा कि भजन-नाम जाप करने वालों से कहीं अधिक संख्या निंदा करने वालों की होती है, इसलिए भक्त को कभी विचलित नहीं होना चाहिए. महादेव स्वयं उसके मन और मान–मर्यादा के रक्षक बन जाते हैं. कथा के दौरान बताया गया कि रविवार, शनिवार या गुरुवार का व्रत करने पर भी फल तभी प्राप्त होता है, जब महादेव की आज्ञा हो. धरती पर फल के वास्तविक दाता स्वयं महादेव ही हैं.
झारखंड की महिला के जीवन में भक्ति का चमत्कार
कथा के दौरान उन्होंने झारखंड के गोड्डा जिले की एक महिला का उदाहरण भी दिया, जो जनवरी 2024 में सिहोर गयी थी. वहां लौटने के कुछ ही समय बाद उनकी बड़ी बेटी का चयन झारखंड में जेइ के रूप में हुआ, जबकि अन्य दो बच्चों को भी सरकारी नौकरी मिली. इसे महादेव की कृपा का प्रत्यक्ष उदाहरण बताया. कथा में कहा गया कि शिवभक्ति में रत सेवक की वाणी का मान स्वयं महादेव रखते हैं और उनके मुख से निकली बात को पूर्ण करते हैं.
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