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गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर ने अपनी कविताओं, गीतो और कहानियों से बंगाली संस्कृति को किया समृद्ध

झारखंड बंगाली समिति ने मनायी रवींद्र जयंती और रवींद्रनाथ टैगोर की रचनाओं पर चर्चा की. कार्यक्रम में बच्चों ने नृत्य किया और रवींद्रनाथ टैगोर की रचनाओं का कविता पाठ भी किया.

मधुपुर . शहर के पंचमंदिर रोड स्थित एक आवासीय परिसर में बुधवार को झारखंड बंगाली समिति मधुपुर इकाई के तत्वावधान में गुरुदेव रवींद्ननाथ टैगोर की जयंती मनायी गयी. मौके पर सदस्यों ने उनकी तस्वीर पर पुष्प अर्पित कर उन्हे श्रद्धा सुमन अर्पित किये. समिति के अध्यक्ष डा आशीष कुमार सिन्हा ने कहा कि गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर ने अपनी कविताओं, गीतो और कहानियों से बंगाली संस्कृति को समृद्ध करने का काम किया. महान रचनाकार व दार्शनिक रवींद्रनाथ टैगोर की कृतियों में प्रेम, वियोग व राष्ट्र-प्रेम के भावों के साथ सामाजिक व वैचारिक उत्थान के आदर्श झलकते है. समिति के सचिव विद्रोह कुमार मित्रा ने कहा कि 1913 में रवींद्रनाथ टैगोर को उनके साहित्य में योगदान के लिए नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया. यह पुरस्कार उन्हें उनके द्वारा लिखी हुई गीतांजलि के लिए मिला था. उन्हें ब्रिटिश सरकार ने सर की उपाधि से भी नवाजा था, जिसे उन्होंने 1919 मे हुए जलियांवाला बाग कांड के बाद लौटा दिया था..कार्यक्रम की शुरुआत सदस्यों ने उनकी लिखी गयी कालजयी गीत आनंद लोके मंगला लोके से की. इसके बाद बच्चों ने नृत्य, कविता पाठ किया. मंच संचालन सुष्मिता चक्रवर्ती ने किया. मौके पर साधना मुखर्जी, छोबी बोस, अनिता बनर्जी, मनीमाला मित्रा, बिना बोस, मीठू दत्ता, शांति रंजन मुखर्जी, डा. सुखेंद्र देव मन्ना, प्रदीप भादुड़ी, संपा तालुकदार आदि मौजूद थे.

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