मधुपुर. शहर के भेड़वा नावाडीह स्थित राहुल अध्ययन केंद्र में प्रसिद्ध आधुनिक कवि त्रिलोचन शास्त्री की जयंती व नरेंद्र दाभोलकर को उनके शहादत दिवस पर याद किया गया. उपस्थित लोगों ने दोनों विभूतियों की तस्वीर पर माल्यार्पण कर श्रद्धासुमन अर्पित किया. मौके पर धनंजय प्रसाद ने कहा कि त्रिलोचन शास्त्री आधुनिक हिंदी काव्य व प्रगतिशील काव्यधारा के प्रसिद्ध कवि थे. छायावाद के बाद वाली पीढ़ी के कवियों में त्रिलोचन शास्त्री जैसे काव्यदि और शास्त्रज्ञ कवि बहुत ही कम हुए हैं. उन्होंने हिन्दी में सीनेट की परम्परा की शुरुआत की है. उनकी तीन काव्य संग्रह धरती, गुलाब, बुलबुल व दिगंत प्रकाशित हुई है. उन्हें साहित्य अकादमी सम्मान सहित श्लोकाव मैथिलीशरण गुप्त सम्मान से सम्मानित किया गया. उनका बचपन का नाम बासुदेव सिंह था पर शास्त्री की डिग्री प्राप्त करने के बाद वो त्रिलोचन शास्त्री के नाम से साहित्यिक रचना करने लगे. अपने रचना के माध्यम से समाज व व्यवस्था की विसंगतियों को उजागर करते रहे. नरेंद्र दाभोलकर अंधविश्वास भंजक व विवेकवादी सोच के प्रखर कवि व लेखक रहे हैं. वे सांप्रदायिक कट्टरपंथ के विरोध में लिखा करते थे. जिस वजह से कट्टरपंथियों ने उनकी हत्या कर दी.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

