मधुपुर. शहर के भेड़वा नावाडीह स्थित राहुल अध्ययन केंद्र में विश्व महिला दिवस के अवसर पर महिलाओं की दशा व दिशा, विषयक संगोष्ठी का आयोजन किया गया. संगोष्ठी को लेकर अधिवक्ता धनंजय प्रसाद ने कहा कि समाज की मूल इकाई स्त्री व पुरुष है. जीवन व समाज रूपी गाड़ी को चलाने के लिए महिला व पुरुष के बीच बराबरी का होना बहुत जरूरी है. तभी संतुलन बनाया जा सकता है. वैसे आजादी के बाद यह अधिकार महिलाओं को प्राप्त हुआ है. इसके पूर्व वो इन अधिकारों से वंचित थी. भारतीय संविधान ने महिला सहित दलित, शोषित, वंचित, उपेक्षित वर्गों को मौलिक अधिकार के रूप यह अधिकार प्रदत्त किया है. जिस वजह से महिलाएं आज चहुंमुखी विकास के लिए अग्रसर है. तमाम चुनौतियां के बावजूद आज महिलाएं धरती से लेकर आसमान तक घर से लेकर समाज तक संस्कृति से लेकर विज्ञान तक, सड़क से लेकर संसद तक हर जगह पुरुषों के कदमताल कर रही है. आज जरूरत है कि पुरुष प्रधान मानसिकता को बदलेंं, तभी समग्रता में समाज और देश का विकास संभव है. अन्य लोगों ने भी अपने विचार व्यक्त किये.
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