एक सनातन धर्म का जो आदिकाल से चला आ रहा है और दूसरा तंत्र का संविधान, जिसे बलपूर्वक लोगों को मानने पर बाध्य किया जा रहा है. इससे दोनों संविधानों में टकराव की स्थिति उत्पन्न हो गयी है. उन्होंने बताया कि सनातन अथवा वेदों के द्वारा बनाये गये संविधान के अनुसार ही किसी देवी-देवताओं की प्राण-प्रतिष्ठा करते हैं.
वहीं प्राण-प्रतिष्ठा के बाद जैसे ही दर्शन की बात आती है तो दूसरा संविधान आकर दर्शन कराने की बात करता है. मृत लोगों को हमलोग लकड़ी से संस्कार करते हैं, लेकिन दूसरे संविधान के अनुसार बिजली से जलाने की मशीन आ गयी. अब इसमें जलाने से संस्कार नहीं दाह कहा जा सकता है. इस कारण ही देश में ऐसी समस्या बन रही है. स्वामी जी ने बाबा रामदेव का नाम लिये बगैर कहा कि एक योगी व्यवसायी नहीं हाे सकता. वहीं कुछ व्यायाम करने वाले लोग एक सफल योगी नहीं हो सकते. इस अवसर पर शंकराचार्य के शिष्य कुकराहा निवासी भगवान तिवारी, अभय सर्राफ, विनोद सुल्तानियां, रामसेवक सिंह गुंजन, रीता चौरसिया, रामनाथ शर्मा, पवन टमकाेरिया आदि मौजूद थे़.