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वेस्टेज पानी से संवारें अपनी बगिया

देवघर : गरमी में बूंद-बूंद पानी का महत्व बढ़ जाता है. रोजमर्रा के दिनों में लोग पानी का उपयोग करने के बाद उसे बेकार समझकर छोड़ देते हैं. वेस्टेज पानी का भी उपयोग कई तरह से किया जा सकता है. वेस्टेज पानी से अपने घर में ही बागवानी कर सकते हैं. गांवों में तो खेती […]

देवघर : गरमी में बूंद-बूंद पानी का महत्व बढ़ जाता है. रोजमर्रा के दिनों में लोग पानी का उपयोग करने के बाद उसे बेकार समझकर छोड़ देते हैं. वेस्टेज पानी का भी उपयोग कई तरह से किया जा सकता है. वेस्टेज पानी से अपने घर में ही बागवानी कर सकते हैं. गांवों में तो खेती तक की जा सकती है. वेस्टेज पानी का प्रयोग संबंधी जानकारी देने शनिवार को प्रभात खबर कार्यालय में प्रभात चर्चा में कृषि पदाधिकारी राजेश्वर सिन्हा उपस्थित हुए.

श्री सिन्हा ने कहा कि शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों में स्नान समेत चापानल व घर में प्रयोग होने वाले पानी को स्टोर कर बाग-बगीचा में सिंचाई कर सकते हैं. वेस्टेज पानी को घर में ही एक गड्ढे में पहले स्टोर करें व छत पर अलग से एक टंकी में पानी को लिफ्ट करायें. टंकी से ड्रिप एरिगरेशन व स्प्रींकलर सिस्टम से कम पानी में सिंचाई कर सकते हैं. ड्रिप एरिगेशन से पौधों की जड़ में बूंद-बूंद सिंचाई होगी, इससे मिट्टी में हमेशा नमी बनी रहेगी. गरमा फसल में इन दिनों अपनी बागवानी में करैला,

भींडी, कद्दू, मूंग, खीरा, तरबूज जैसी सब्जियां लगा सकते हैं. किसान भी अपने खेतों में इन सब्जियों का सिंचाई ड्रिप एरिगेशन व स्प्रींकलर सिस्टम से कर सकते हैं.

90 फीसदी सरकारी अनुदान भी मिलेगा : प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना से ड्रिप एरिगेशन व स्प्रींकलर सिस्टम का लाभ 90 फीसदी सरकारी अनुदान पर देने की योजना है. शहरी व ग्रामीण क्षेत्र में 50 डिसमील से लेकर एकड़ जमीन रहने पर इस योजना का लाभ उठा सकते हैं. इस योजना में जमीन के अनुसार 20 हजार से 40 हजार रुपये तक सहयोग मिलेगा. प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना का लाभ लेने के लिए ऑनलाइन आवेदन करना होगा. फोरमेट में जमीन का विवरण, बैंक खाता नंबर, वंशावली समेत जमीन का पूरा ब्योरा देना होगा. गांवों में किसानों के लिए परती भूमि पर उपजाउ बनाने के लिए भी सरकान ने योजना चलायी है. परती भूमि पर अरहर, मूंग, उरद, मकई व पशु चारा की खेती में जुताई के लिए सरकार प्रति हेक्टेयर चार हजार रूपये प्रोत्साहन राशि मिलेगा. किसानों को प्रोत्साहित कर परती भूमि पर खेती कराने वाले कृषक मित्र व आर्या को 500 रुपये प्रति हेक्टेयर प्रोत्साहन राशि मिलेगी.

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