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रिखियापीठ. परमहंस स्वामी सत्यानंदजी के परम शिष्य व योग के क्षेत्र में विशेष स्थान प्राप्त करने वाले स्वामी निरंजनानंद सरस्वती को पद्मभूषण सम्मान की घोषणा होने पर रिखिया में उत्साह का माहौल है. जैसी ही लोगों तक यह पदमभूषण सम्मान की सूचना मिली, सभी ने एक-दूसरे को बधाई देना शुरू कर दिया. रिखिया के कई […]

रिखियापीठ. परमहंस स्वामी सत्यानंदजी के परम शिष्य व योग के क्षेत्र में विशेष स्थान प्राप्त करने वाले स्वामी निरंजनानंद सरस्वती को पद्मभूषण सम्मान की घोषणा होने पर रिखिया में उत्साह का माहौल है. जैसी ही लोगों तक यह पदमभूषण सम्मान की सूचना मिली, सभी ने एक-दूसरे को बधाई देना शुरू कर दिया. रिखिया के कई लोग स्वामी निरंजनानंद जी के रिखिया आगमन के समय से ही जुड़े हैं. आज भी स्वामी निरंजन मुंगेर से जब रिखिया आते हैं तो लोगों में उनसे मिलने की ललक रहती है.

रिखियापीठ के अनुष्ठान में स्वामी निरंजनानंदजी जी का प्रवचन निश्चित रूप से सुनते हैं. स्वामी निरंजन द्वारा सेवा, प्रेम व दान से जुड़े प्रवचन से शिष्य काफी प्रभावित होते हैं. अनुष्ठान के दौरान स्वामी निरंजनानंद रिखियावासियों को नाम के साथ बुलाते हैं व उनसे हालचाल लेते हैं.

स्वामी निरंजनानंदजी को मिला पद्मभूषण सम्मान
रिखिया की धरती फिर से गौरवान्वित हुआ है. स्वामी सत्यानंदजी का संकल्पों को पूरा करने में उक उत्तराधिकारी के रूप में स्वामी निरंजनानंदजी ने जिम्मेवारी निभायी है. केवल योग ही नहीं, सेवा, दान व प्रेम के संदेश से भी स्वामीजी ने रिखिया को विश्व विख्यात किया है.
– रविंद्र प्रसाद सिन्हा, रिटार्ड प्राचार्य, रिखिया हाइस्कूल
स्वामी सत्यानंदजी के आदर्शों को साथ लेकर स्वामी निरंजनानंद जी ने योग को विज्ञान का रूप दिया है. स्वामी निरंजन के प्रवचन का एक-एक शब्द एकाग्रचित करता है. उनके संदेश से जीवन को नयी दिशा मिलती है. निश्चित रूप से पदमभूषण सम्मान से रिखियावासी आज बेहद खुश हैं.
– नारायण प्रसाद राव, रिखिया निवासी
स्वामी निरंजनानंद जी से मैंने गुरू दीक्षा प्राप्त की है. यह मेरा सौभाग्य है. स्वामीजी में ज्ञान का भंडार है. उनकी छवि में ही ज्ञान का तेज झलकता है. योग व अध्यात्म के मार्ग में स्वामी निरंजनानंद जी अहम स्थान है.
– मनोज भटनागर, रिखिया
स्वामी सत्यानंदजी ने स्वामी निरंजनानंदजी की प्रतिभा को बचपन में ही परख लिया था, एक ऐसा शिष्य जिन्होंने जो गुरू के संकल्पों को आज भी पूरा करने में लगे हैं. स्वामी सत्यानंदजी की पंचाग्नि साधना के दौरान ही स्वामी निरंजन से जुड़ने सौभाग्य मिला है.
– बासुदेस प्रसाद राव, रिखिया

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