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आयोजन: दो दिवसीय नेशनल सेमिनार का पहला दिन, कुलपति ने कहा, शिक्षक व कर्मचारी समझें अपना कर्तव्य

मधुपुर: महाविद्यालय सभागार में मंगलवार को अर्थशास्त्र विभाग के तत्वावधान में दो दिवसीय नेशनल सेमिनार का आयोजन किया गया. सेमिनार का उदघाटन सिदो कान्हू मुर्मू विश्वविद्यालय के कुलपति डा कमर अहसन ने किया. इस अवसर पर प्रतिकुलपति सत्नारायण मुंडा, डा. अग्रमोहन झा, प्रो नागेश्वर सिंह, सेमिनार के आयोजक सचिव डा एनसी झा, हिंदी विभागाध्यक्ष डा […]

मधुपुर: महाविद्यालय सभागार में मंगलवार को अर्थशास्त्र विभाग के तत्वावधान में दो दिवसीय नेशनल सेमिनार का आयोजन किया गया. सेमिनार का उदघाटन सिदो कान्हू मुर्मू विश्वविद्यालय के कुलपति डा कमर अहसन ने किया. इस अवसर पर प्रतिकुलपति सत्नारायण मुंडा, डा. अग्रमोहन झा, प्रो नागेश्वर सिंह, सेमिनार के आयोजक सचिव डा एनसी झा, हिंदी विभागाध्यक्ष डा सुमन लता आदि ने कुलपति का स्वागत बुके व फुल माला देकर किया गया.

कुलपति ने कहा कि समावेशी विकास के लिए यह जरूरी है कि सभी विद्वान अपने-अपने विचार विमर्श द्वारा निति निर्धारण के लिए विचार रखें. सभी शिक्षकों व कर्मचारियों का दायित्व है कि वे अपने कर्तव्य को समझें तथा छात्रों के साथ दोस्ताना संबंध रखे. समावेशी विकास के लिए हमें ध्यान रखना चाहिए कि हमें आदिवासी की आवश्यकता क्या है. इसे ध्यान में रखते हुए योजना बनायी जाये.

एसकेएम विश्वविद्यालय के प्रति कुलपति डा. सत्यनारायण मुंडा ने कहा कि झारखंड के सभी जनजाति के लोग विभिन्न पेशा के द्वारा जीवकोपार्जन करते हैं. कहा कि जनजाति का समावेशी विकास तभी संभव है, जब जैवकीय पारदर्शी दृष्टि से कार्य हो.
प्रो. बालमुकुंद ठाकुर ने कहा कि आज भारत मजबूत देश के रूप में उभर रहा है. लेकिन हमारे विकास के जो रास्ते हैं इसका कार्य सभी तक नहीं पहुंचा है. हर क्रांति का लाभ सिर्फ पश्चिम भारत के लोगों तक पहुंचा है.
भारतीय आर्थिक परिषद के सचिव डा अनिल कुमार ठाकुर ने कहा कि समावेशी विकास वह है जिससे वितरण प्रणाली की समानता स्थापित हो. विश्व में भारत का 165 वां स्थान है.
बिहार आर्थिक परिषद के अध्यक्ष डा. उग्रमोहन झा ने कहा कि समावेशी विकास तभी संभव है, जब योजना बनाने वाले योजना को लागू करवाने में तालमेल हो.
एएस कॉलेज के पूर्व प्राचार्य प्रो. नागेश्वर शर्मा ने कहा कि समावेशी विकास के लिए योजना बनाने की जरूरत है. कहा कि 8वीं,9वीं व 10वीं पंचवर्षिय योजना में विकास 10 प्रतिशत से अधिक है.
मौके पर डा. रत्नाकर भारती, डा. केएम मिश्रा, डा. सुप्रकाश चंद्र सिंह, पूर्व प्राचार्य प्रो. सलाउद्वीन अंसारी, समसुद्वीन अंसारी, डा. भरत प्रसाद, डा. केडी शर्मा थे.

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