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कोर्ट में एडमिशन प्वाइंट पर आंशिक बहस, अगली सुनवाई 12 जनवरी कोडाबर इंडिया लिमिटेड जमीन प्रकरण विधि संवाददाता, देवघरचर्चित डाबर इंडिया लिमिटेड की जमीन के स्वामित्व निर्धारण को लेकर सब जज एक गोपाल पांडेय की अदालत में दाखिल टाइटिल सूट संख्या 64/15 में एडमिशन स्वीकृत करने को लेकर आंशिक बहस हुई. स्टेट ऑफ झारखंड की […]

कोर्ट में एडमिशन प्वाइंट पर आंशिक बहस, अगली सुनवाई 12 जनवरी कोडाबर इंडिया लिमिटेड जमीन प्रकरण विधि संवाददाता, देवघरचर्चित डाबर इंडिया लिमिटेड की जमीन के स्वामित्व निर्धारण को लेकर सब जज एक गोपाल पांडेय की अदालत में दाखिल टाइटिल सूट संख्या 64/15 में एडमिशन स्वीकृत करने को लेकर आंशिक बहस हुई. स्टेट ऑफ झारखंड की ओर से राजकीय अधिवक्ता बालेश्वर प्रसाद सिंह ने बहस की और इस जमीन को सरकारी घोषित करने के मुख्य बिंदुओं को रखा. विस्तार से बहस के लिए अगली तिथि 12 जनवरी 2016 को न्यायालय ने मुकर्रर की है. यह मामला दाखिल होने के बाद प्रतिवादी न्यायालय में उपस्थित होकर सूट के न चलने के औचित्य संबंधी पिटीशन दाखिल किया है. जसीडीह- देवघर मुख्य मार्ग पर अवस्थित डाबर इंडिया लिमिटेड की इकाई वर्षों से बंद हो जाने के कारण इस जमीन की बिक्री कर दी गयी है. सेल डीड कैंसिल करने तथा जमीन को सरकारी घोषित करने के लिए यह सूट तत्कालीन देवघर उपायुक्त अमीत कुमार की ओर से दाखिल किया गया है. इस मामले का वादी झारखंड सरकार है जबकि डाबर इंडिया लिमिटेड व अन्य इसमें प्रतिवादी हैं.कहां है डाबर इंडिया लिमिटेड की जमीनजसीडीह थाना क्षेत्र के डाबरग्राम के पास यह जमीन है, जिसका अधिग्र्रहण उद्योग लगाने के उद्देश्य से किया गया था. तत्कालीन एसडीओ ने रोहिणी स्टेट के घटवाल के आवेदन के आलोक में जमीन का अधिग्रहण किया था. संथालपरगना रेंट रेगुलेशन एक्ट 1886 के तहत रोहिणी स्टेट के घटवाल के आवेदन पर भू-अर्जन कर कारखाना बनाने व आवास बनाने की बात कही थी. इस जमीन का अधिग्रहण एलए केस नंबर 3/43- 44 व 24/44-45 के द्वारा किया गया था. जमीन अधिग्रहण के बाद डाबर इंडिया लिमिटेड ने कारखाना लगाया एवं कई दशकों तक चला जिसमें सैकड़ों श्रमिक कार्यरत थे. इधर कुछ वर्षों से कारखाना बंद कर दिया गया और उत्पादन ठप हो गया. सारे श्रमिकों को कार्य से मुक्त कर दिया गया. कुछ वर्ष बीत जाने के बाद जमीन बेचने का उपक्रम किया गया जिसका स्थानीय लोगों ने विरोध किया तो जिला प्रशासन की ओर से बिक्री पर 15 सितंबर 2009 को ही रोक लगा दी गयी थी. अवर निबंधक को भी जमीन की रिजस्ट्री न करने का डीसी ने निर्देश दिया था.क्या है मामलाडाबर इंडिया लिमिटेड की जमीन पर बिक्री न करने के मुद्दे रहने के बाद भी पक्षकारों के नाम सेल डीड पंजीकरण के लिए सब रजिस्ट्रार देवघर के यहां 2 अप्रैल 2011 को कागजात दाखिल किया गया. इसे अवर निबंधक ने लौटा दिया. इसी आदेश के विरुद्ध निर्भय शाहबादी ने हाइकोर्ट में डब्ल्यूपीसी संख्या 5222/12 दाखिल किया जिसमें हाइकोर्ट ने निबंधन करने का आदेश दे दिया. इसके विरुद्ध एलपीए याचिका हाइकोर्ट में दाखिल हुआ जिसमें स्वत्व निर्धारण सक्षम न्यायालय में करने का डायरेक्शन सरकार को मिला. इसी संदर्भ में यह टाइटिल सूट दाखिल हुआ है. इस जमीन की कीमत सूट में चार करोड़ दर्शायी गयी है.कौन-कौन हैं पक्षकारइस मामले में वादी तत्कालीन डीसी अमीत कुमार हैं. प्रथम प्रतिवादी डाबर इंडिया लिमिटेड है जबकि द्वितीय प्रतिवादियों में निर्भय कुमार शाहबादी, महेश लाट व नवीन आनंद हैं.

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