हत्या के 12 साल बाद भी गुत्थी अनसुलझी वृकोदर के परिजन जायेंगे सुप्रीम कोर्ट !फैक्ट फाइल : – दयाल गार्डेन में 23 फरवरी 2003 को दिया गया था घटना को अंजाम- घटना के दिन मजिस्ट्रेट की मौजूदगी में जमीन पर बन रही थी बाउंड्रीवाल – हरवे-हथियार से लैस होेकर पहुंचे थे कुछ ग्रामीण, वृकोदर सिंह की पीट-पीट कर हत्या कर दी – घटना के आठ साल बाद 23 जनवरी, 2011 को आया था निचली अदालत का फैसला- निचली अदालत ने चार आरोपितों को दोषी करार देते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनायी थी- सजायाफ्ता चारों आरोपी को साक्ष्य के अभाव में हाइकोर्ट ने किया बरी- स्थानीय लोगों की माने तो संतालपरगना के एक कद्दावर नेता के इशारे पर घटना को दिया गया था अंजाम- वृकोदर सिंह ने अस्पताल व छात्रावास बनाने के उद्देश्य से चित्तोलाढ़िया में ली थी जमीन – वृकोदर सिंह का सपना आधुनिक स्वास्थ्य व शिक्षा के क्षेत्र में व्यापक विस्तार करना था संवाददाता, देवघर एसकेपी विद्याविहार स्कूल, देवघर के संस्थापक व प्रतिष्ठित शिक्षाविद वृकोदर सिंह की हत्या का मामला अब सर्वोच्च न्यायालय जा सकता है. उनके परिजन न्याय के लिए सर्वोच्च न्यायालय के दरवाजे खटखटाने के लिए कानूनविदों से राय-मशविरा ले रहे हैं. सोमवार को झारखंड उच्च न्यायालय ने इस चर्चित हत्याकांड में अपना फैसला सुना दिया था. उच्च न्यायालय ने निचली अदालत से सजायाफ्ता चारों आरोपी को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया. गौरतलब है कि 23 फरवरी, 2003 को देवघर के चित्तोलोढ़िया के दयाल गार्डेन में वृकोदर सिंह की हत्या कर दी गयी थी. करीब आठ साल बाद 23 जनवरी, 2011 को निचली अदालत ने मामले के चार आरोपियों को दोषी ठहराते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनायी थी. हत्या की अनसुलझी गुत्थीतत्कालीन मीडिया रिपोर्ट व स्थानीय लोगों के मुताबिक, देवघर के बंपास टाउन में एसकेपी विद्याविहार स्कूल की स्थापना की थी. यह स्कूल जल्द ही लोगों के बीच लोकप्रिय हो गया. इस सफलता से उत्साहित होकर वृकोदर सिंह ने अस्पताल व छात्रावास बनाने के उद्देश्य से चित्तोलाढ़िया में जमीन खरीदी थी. यह बात इलाके के कुछ दबंग लोगों को नागवार गुजरी. तरह-तरह के षड्यंत्र रचे जाने लगे. गांव के लोगों को उकसाया गया. इस सबके परिणामस्वरूप वह जमीन विवाद में आ गयी. 23 फरवरी,2003 को मजिस्ट्रेट की मौजूदगी में उस भू-खंड के चारों ओर बाउंड्रीवाल बनवायी जा रही थी. इसी बीच वृकोदर सिंह वहां पहुंचे. उनके पहुंचते ही ग्रामीणों की एक भीड़ हरवे-हथियार से लैस होकर आये और वृकोदर सिंह की पीट-पीट कर हत्या कर दी. लेकिन यह सवाल अब तक अनुत्तरित है कि भीड़ को किसने उकसाया ? यह सुनियोजित हत्या का षडयंत्र था या सब कुछ अनायास हुआ ? किसके उकसावे पर हिंसक हुई भीड़ कई स्थानीय लोगों का मानना है वृकोदर सिंह हत्या के पीछे संतालपरगना के एक बड़े नेता का हाथ था. उस दौर में झारखंड की राजनीति में वे कद्दावार नेता माने जाते थे. कहा जाता है कि उस नेता के इशारे पर ही हत्याकांड का षड्यंत्र रचा गया. हालांकि उक्त नेता का नाम न तो पुलिस की चार्जशीट में आया न ही उनके खिलाफ कोई मुकदमा दर्ज हुआ. इसके अलावा इस हत्याकांड में स्थानीय अपराधियों की संलिप्तता की भी बातें आयीं. चित्तोलाढ़िया में जमीन खरीदने के बाद ही उनसे रंगदारी टैक्स मांगा जाने लगा था. पुलिस नहीं जुटा सकी साक्ष्य वृकोदर सिंह के परिजनों को गम है कि सैकड़ों लोगों की उपस्थिति में उनकी नृशंसतापूर्वक हत्या कर दी गयी, लेकिन पुलिस दोषियों के खिलाफ पर्याप्त साक्ष्य नहीं जुटा सकी. पुलिस ने लंबा अनुसंधान किया. कई लोगों को आरोपी बनाया गया. लेकिन पुलिस 12 साल में भी पर्याप्त साक्ष्य नहीं जुटा सकी. सपना रहा अधूरा वृकोदर सिंह शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र बड़ा काम करना चाहते थे. अपने सपने को पूरा करने के लिए उन्होंने देवघर के अलावा कटिहार, भागलपुर, बांका में एसकेपी स्कूल की स्थापना की थी. देवघर में वे बड़े पैमाने पर स्कूल का विस्तार करना चाहते थे. लेकिन समय से पहले उनकी हत्या हो गयी और सपना अधूरा रह गया. ———————– न्याय के लिए जायेंगे सुप्रीम कोर्ट : उमाकांत सिंहएसकेपी विद्याविहार स्कूल देवघर के सचिव उमाकांत सिंह ने कहा कि जमीन विवाद में नहीं बल्कि रंगदारी मांगे जाने के मामले में मेरे ससुर वृकोदर सिंह की हत्या हुई थी. हाइकोर्ट का फैसला आ चुका है. अब न्याय के लिए सुप्रीम कोर्ट जायेंगे. मेरे चितोलोढ़िया की जमीन पर किसी प्रकार का सिविल सूट का मामला नहीं है. घटना से लेकर अबतक मेरा परिवार मानसिक रूप से जूझते रहे हैं.
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हत्या के 12 साल बाद भी गुत्थी अनसुलझी वृकोदर के परिजन जायेंगे सुप्रीम कोर्ट !फैक्ट फाइल : – दयाल गार्डेन में 23 फरवरी 2003 को दिया गया था घटना को अंजाम- घटना के दिन मजिस्ट्रेट की मौजूदगी में जमीन पर बन रही थी बाउंड्रीवाल – हरवे-हथियार से लैस होेकर पहुंचे थे कुछ ग्रामीण, वृकोदर सिंह […]
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