संवाददाता, देवघरइन दिनों ग्रामीण विकास विभाग विशेष प्रमंडल की कई योजनाओं में डीपीआर में संशोधन का खेल चल रहा है. विभाग की बड़े पुल व भवन की योजना में एग्रीमेंट के बाद काम चालू हो जाता है. यहां कि कई योजनाओं में लाखों रुपये भुगतान तक कर दिया जाता है, उसके बाद विभाग को संबंधित योजना के डीपीआर में गड़बड़ी की याद आती है. इस गड़बड़ी के बहाने विभाग व संवेदकों की मिलीभगत से डीपीआर में संशोधन कर प्राक्किलत राशि बढ़ाने का खेल किया जाता है. विभागीय जानकारी के अनुसार यह खुलेआम नियमों का उल्लंघन है. देवीपुर प्रखंड के सीमराडीह-नोखिल घाट पर करीब तीन करोड़ की लागत से निर्माणाधीन पुल का भी डीपीआर संशोधन करने का प्रस्ताव मुख्यालय भेजा जा रहा है. डीपीआर संशोधन के आड़ में उक्त पुल का कार्य भी बंद कर दिया गया है. जबकि इस पुल में करीब 30 लाख रुपये भुगतान भी विशेष प्रमंडल से हो चुका है.भुगतान के बाद डीपीआर में संशोधन अनुचितपथ निर्माण विभाग के रिटायर्ड अधीक्षण अभियंता उमेश्वर प्रसाद सिंह ने कहते हैं कि भुगतान के बाद डीपीआर में संशोधन अनुचित है. चूंकि डीपीआर तो योजना के टेंडर होने से पहले ही बनता है. डीपीआर बनाने से पहले पुल में बोरिंग कर पत्थर का पता लगाया जाता है. उस अनुसार प्राक्कलन तैयार होता है. डीपीआर बनाने में तो विभाग का ही तीन-चार लाख रुपये खर्च होता है. उसके बाद भी योजना में राशि का भुगतान करना व उसके बाद डीपीआर में संशोधन करना नियम के विरुद्ध है. इस संशोधन से प्राक्कलन राशि लगभग दस फीसदी बढ़ जायेगी.
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भुगतान के बाद योजना के डीपीआर में चलता है संशोधन का खेल !
संवाददाता, देवघरइन दिनों ग्रामीण विकास विभाग विशेष प्रमंडल की कई योजनाओं में डीपीआर में संशोधन का खेल चल रहा है. विभाग की बड़े पुल व भवन की योजना में एग्रीमेंट के बाद काम चालू हो जाता है. यहां कि कई योजनाओं में लाखों रुपये भुगतान तक कर दिया जाता है, उसके बाद विभाग को संबंधित […]
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