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प्रवचन:::: जन-साधारण के लिए सहज नैतिक अनुशासन व कर्मकांड

ध्यान तथा आत्म-रूपांतरण की अन्य विधियों की तरह ड्रू इड की शिक्षाएं भी दो भागों में विभक्त थीं. सहज नैतिक अनुशासन तथा कर्मकांड जन-साधारण के लिए थे. उनसे लोगों में समाज में प्रचलित आध्यात्मिक मूल्यों पर आधारित मानसिक स्थिरता आती थी. गहन तथा गुह्य ज्ञान ऐसे चुने हुए लोगों के लिए थे जिनके बारे में […]

ध्यान तथा आत्म-रूपांतरण की अन्य विधियों की तरह ड्रू इड की शिक्षाएं भी दो भागों में विभक्त थीं. सहज नैतिक अनुशासन तथा कर्मकांड जन-साधारण के लिए थे. उनसे लोगों में समाज में प्रचलित आध्यात्मिक मूल्यों पर आधारित मानसिक स्थिरता आती थी. गहन तथा गुह्य ज्ञान ऐसे चुने हुए लोगों के लिए थे जिनके बारे में यह विश्वास हो जाता था कि वे इस ज्ञान का दुरुपयोग नहीं करेंगे. उन्हें तभी अत्यंत महत्वपूर्ण तथा गुह्य साधना करायी जाती थी, जब तक अच्छी तरह ठोक-बजाकर परख नहीं लिया जाता था. इस परीक्षा में सफल साधक को पहले गोपनीयता की शपथ दिलायी जाती थी, उसके पश्चात गुह्य साधना सौंपी जाती थी. ये अभ्यास एकांत गहन जंगल में कराये जाते थे. इन अभ्यासों में ध्यान, आंतरिक ऊर्जा के रूपांतरण, विश्व की प्रकृति, लोगों द्वारा पूज्य विभिन्न देवताओं का स्वभाव तथा प्राकृतिक नियम, प्राण-ऊर्जा द्वारा आरोग्य प्रदान करने के रहस्य, आकाशीय ग्रहों का प्रभाव, मंत्र-विज्ञान तथा जादू आदि की शिक्षाओं का समावेश था.

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