फोटो सुभाष में कैप्सन : तिलकुट से सजा दुकान व तिलकुट बनाते दुकानदार.- देवघर व आसपास के इलाके में सज गयी हैं सौ से अधिक दुकानें – संवाददाता, देवघर बाबानगरी में अब तिलकुट का कारोबार एक लघु उद्योग का रूप लेता जा रहा है. इसके पीछे का सच यह है कि देवघर आने वाले श्रद्धालु अब अपने साथ प्रसाद के तौर पर पर पेड़े के साथ-साथ तिलकुट भी ले जाना पसंद करते हैं. पेड़ा के मुकाबले तिलकुट को ज्यादा दिनों तक व लंबी दूरी तक ले जाना आसान होता है. यही वजह है कि शहर में पूरे वर्ष भर तिलकुट का बाजार सजा रहता है. पेड़ा बिक्री करने वाले प्राय : सभी प्रतिष्ठानों में तिलकुट का अच्छा-खासा स्टॉक सजा रहता है. यही वजह है कि गया के बाद अब देवघर भी तिलकुट की बड़ी मंडी के रूप में स्थापित होता जा रहा है. शरद ऋ तु आने के साथ ही देवघर व आसपास के इलाके में तिलकुट की सौ से अधिक छोटी-बड़ी दुकानें सज गयी है. इन दुकानों की वजह से सिर्फ एक सीजन में शहर में लाखों रुपये का तिलकुट का कारोबार होता है. साथ ही सैकड़ों लोगों को रोजगार भी मिलता है.क्या कहते हैं दुकानदार तिलकुट दुकानदार गणेश गुप्ता कहते हैं कि पिछले साल के मुकाबले इस वर्ष तिलकुट थोड़ा सस्ता हुआ है. पिछले साल चीनी वाला तिलकुट 170-180 रुपये व गुड़ वाला 180-200 रुपये प्रति किलो बिक रहा था. मगर इस वर्ष चीनी वाला 150-160 व गुड़वाला 170 से 180 रुपये किलो बिक रहा है. जबकि चीनी व तिल वाली रेवडि़यां 150 रुपये के भाव में बिक रही है.
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गया के बाद देवघर बनी तिलकुट की मंडी
फोटो सुभाष में कैप्सन : तिलकुट से सजा दुकान व तिलकुट बनाते दुकानदार.- देवघर व आसपास के इलाके में सज गयी हैं सौ से अधिक दुकानें – संवाददाता, देवघर बाबानगरी में अब तिलकुट का कारोबार एक लघु उद्योग का रूप लेता जा रहा है. इसके पीछे का सच यह है कि देवघर आने वाले श्रद्धालु […]
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