रिखियापीठ, संवाददातापांच दिसंबर को स्वामी सत्यानंदजी की महासमाधि दिवस है, लेकिन एक योगी की महासमाधि दिवस को हर्षोल्लास के साथ रिखिया में मनाया गया. उक्त बातें स्वामी सत्संगीजी ने रिखियापीठ में प्रवचन के दौरान कही. उन्होंने कहा कि परमहंस स्वामी सत्यानंदजी की समाधि रोने-धोने के बजाय खुशी-खुशी मनाया जा रहा है. स्वामी सत्यानंदजी जब अपना शरीर त्याग रहे थे तब उन्होंने इच्छा जतायी थी कि उनका भू-समाधि हर्षोल्लास के साथ किया जाये ताकि वे सीधा शिवलोक जा सके. जब पदार्थ चेतना में परिवर्तित करना हो तो ध्यान व योग किया जाता है. उसी प्रकार जब पूरा मन व शरीर चेतना में आया तो उसे ही समाधि कहते हैं. इसलिए स्वामी सत्यानंदजी का महासमाधि दिवस में बगैर कोई गम के साथ नृत्य, संगीत व खुशियों के साथ मनाया गया. यह एक सुंदर संयोग है कि पांच दिसंबर को स्वामीजी का महासमाधि दिवस व छह दिसंबर को जन्मदिवस है.
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परमहंसजी ने खुश रहने का दिया संदेश : स्वामी सत्संगी
रिखियापीठ, संवाददातापांच दिसंबर को स्वामी सत्यानंदजी की महासमाधि दिवस है, लेकिन एक योगी की महासमाधि दिवस को हर्षोल्लास के साथ रिखिया में मनाया गया. उक्त बातें स्वामी सत्संगीजी ने रिखियापीठ में प्रवचन के दौरान कही. उन्होंने कहा कि परमहंस स्वामी सत्यानंदजी की समाधि रोने-धोने के बजाय खुशी-खुशी मनाया जा रहा है. स्वामी सत्यानंदजी जब अपना […]
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