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पगडंडी के सहारे पहुंचते हैं घर

मधुपुर: झारखंड तो बनी पर आदिवासियों की सूरत नहीं बदली है. आज भी आदिवासी अपने हक और अधिकार से वंचित हैं. मूलभूत सुविधाओं से कोसों दूर प्रखंड क्षेत्र के पथलचपटी आदिवासी टोला तो यही साबित करते नजर आ रही है. 300 घर वाले इस टोले में न तो बिजली है और न ही समुचित पेयजल […]

मधुपुर: झारखंड तो बनी पर आदिवासियों की सूरत नहीं बदली है. आज भी आदिवासी अपने हक और अधिकार से वंचित हैं. मूलभूत सुविधाओं से कोसों दूर प्रखंड क्षेत्र के पथलचपटी आदिवासी टोला तो यही साबित करते नजर आ रही है.

300 घर वाले इस टोले में न तो बिजली है और न ही समुचित पेयजल की व्यवस्था. गांव का गंदा पानी नाली नहीं होने के कारण कच्चे सड़क पर बहता है. इस टोले के करीब 500 वोटर अपने पसंदीदा नेताओं को वोट देते हैं.

जनप्रतिधियों द्वारा इन्हें विकास से जुड़े वायदों की लंबी फेहरिस्त जुबानी तौर पर दी जाती है. पर विकास की किरणों चुनाव के बाद इन तक नहीं पहुंच पा रही. जबकि पथलचपटी मुहल्ला में सूबे सहकारिता व अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री हाजी हुसैन अंसारी भी आवास है. आदिवासी ग्रामीण मनोज मरांडी, प्रमोद हेम्ब्रम, बबलू टुडू, बोधा कोल, पप्पू हेम्ब्रम, पवित्र हेम्ब्रम, लक्षमण हांसदा, निकलेश हेम्ब्रम, कल्लू मरांडी, छोटे लाल मुमरू, मकडू मरांडी, सिकंदर मुमरू, बड़की मरांडी, रोमनी मुमरू, नुनिया सोरेन, मनीष आदि का कहना है कि इस टोले में पीने के लिए मात्र एक ही चापानल है, जिसके भरोसे हम लोगों को निर्भर रहना पड़ता है. गरमी के दिनों में पानी की किल्लत और भी बढ़ जाती है. कई वर्ष बीत चुके हैं पर इंदिरा आवास पर हम गरीबों को नहीं मिली है. सड़क नहीं होने के कारण ग्रामीणों को पगडंडी के सहारे अपने-अपने घरों तक पहुंचना पड़ता है.

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