यहां हम नादयोग की एक विशेष तकनीक दे रहे हैं, जो संगीत के साधकों को बड़ी रुचिकर लगेगी. सिद्धासन अथवा सिद्धयोनि आसन में बैठिये. आंखें बंद रखिये. कोई तार वाला वाद्य लेकर उसमें से सात स्वर निकालिये जैसे- सा, रे, ग, म, प, नि, सां. सां, नि, ध, प, म, ग, रे, सा अथवा डो, रे, मी, फा, ला, टि, डो. डो टि, ला, सो, फा, मी, रे डो आदि . अब इन स्वरों को क्रम से मूलाधार, स्वाधिष्ठान, मणिपुर, अनाहत, विशुद्धि, बिंदु तथा सहस्त्रार में संयुक्त कीजिये. इन स्वरों के साथ चेतना को चक्रों पर ऊपर नीचे घुमाइये. इसके बाद इन स्वरों को शरीर की अन्य चेतना के सथ घुमाइये. इन स्वरों के कंपन स्नायुओं तथा नलिकाविहिन ग्रंथि-संस्थान को शांत करते हैं.
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प्रवचन : नादयोग की विशेष तकनीक
यहां हम नादयोग की एक विशेष तकनीक दे रहे हैं, जो संगीत के साधकों को बड़ी रुचिकर लगेगी. सिद्धासन अथवा सिद्धयोनि आसन में बैठिये. आंखें बंद रखिये. कोई तार वाला वाद्य लेकर उसमें से सात स्वर निकालिये जैसे- सा, रे, ग, म, प, नि, सां. सां, नि, ध, प, म, ग, रे, सा अथवा डो, […]
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