देवघर: प्रभात खबर पाठकों के लिए समय-समय पर विभिन्न क्षेत्र से विशेषज्ञों को आमंत्रित कर परिचर्चा का आयोजन करती है. इसी कड़ी में शनिवार को कृषि क्षेत्र से आत्मा (कृषि विभाग) के परियोजना उपनिदेशक मंटु कुमार प्रभात खबर कार्यालय में उपस्थित हुए.
श्री कुमार ने धान के फसलों में होने वाली बीमारी से बचाव, रबी फसल व सब्जी की खेती के बारे में विस्तृत जानकारी दी. उन्होंने कहा कि पिछले वर्ष धान की फसल में कीड़ा लगने से 30-40 फीसदी धान बरबाद हो गया था. किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ा था. संताल परगना में धान की तीन गंभीर बीमारियां होती है. इसमें तना छेन कीट, गंधीबग व भनभनियां है.
सबसे खतरनाक भनभनियां बीमारी
धान में बाउन प्लानर हॉपर (भनभनिया) सबसे खतरनाक रोग है. पिछले वर्ष सबसे अधिक नुकसान भनभनियां रोग से ही हुआ. इस रोग में कीड़ा तेजी से फैलता है. जिससे धान के पौधे का तना, बत्ती व बाली पूरी तरह बरबाद हो जाता है. इसके बचाव के लिए किसानों को हमेशा सतर्क रहना पड़ता है. जैसे ही रोग का लक्षण मिले तो किसान बाजार से कनफिडोर (ओसीन) खरीद कर लायें व एक एकड़ में 80 एमएल का छिड़काव करें. 10 लीटर पानी में पांच एमएल दवा का मिलान करें.
गंधी बाग से थम जाता है धान की फसल का विकास
गंधी बाग बीमारी फैलने से खेतों में गंध आता है. इस बीमारी में कीड़ा धान की बालियों को पूरी तरह चूस लेता है. धान का विकास नहीं होने देता है. इसके बचाव के लिए फोरीडोर पाउडर का पानी में मिलाकर खेतों में छिड़काव करें. एक एकड़ में 3-4 किलो पाउडर का प्रयोग करें. इस कीटनाशक का प्रयोग समय पर होना चाहिए.
बालियां भी आने नहीं देती है तना छेदक कीट
तना छेदक कीट धान के पौधों में बालियां भी आने नहीं देती है. इस बीमारी में कीड़ा पौधे की तना में छेदा कर देता है. इससे बालियां भी नहीं आती है. इससे बचाव के लिए बाजार में रिजेंट कीटनाशक दवा उपलब्ध है. एक एकड़ में पांच किलो पाउडर पानी अथवा खाद के साथ मिलाकर छिड़काव करें. रिजेंट के छिड़काव के समय खेत में अगर नमी रहे तो पौधों के जड़ का भी इससे विकास होता है.
बैंगन व टमाटर में कीड़े लगने की अधिक संभावना
इन दिनों टमाटर, बैंगन, मिर्च, फूल गोभी, पत्ता गोभी, करैला, मूली व कद्दू आदि सब्जियों की खेती का मौसम है. इसमें बैंगन व टमाटर में कीड़ा अधिक लगने की संभावना है. बैंगन की बोआई से पहले किसान थाइमेट दवा का छिड़काव मिट्टी में अवश्य करें. पौधा तैयार होने के बाद एक लीटर पानी में दो एमल साइफर मैथरीन दवा का छिड़काव करें. टमाटर का पौधा सूखने की स्थिति में अगर जड़ में दीमक लगा पाया गया तो क्लोर फाइफोस का छिड़काव करें व फफुंद पड़ने पर इक्टीनो दवा का इस्तेमाल करें.