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राष्ट्रीय बागवानी मिशन: नहीं लगे आम के पौधे, परती है लाभुकों की जमीन

पालोजोरी : देवघर प्रखंड की तरह पालोजोरी में राष्ट्रीय बागवानी मिशन की योजना में भारी घपला प्रकाश में आया है. यहां आम का पौधा लगाने के एवज में राशि के वारे-न्यारे कर दिये गये हैं. विभागीय आंकड़ों के मुताबिक सुग्गीपहाड़ी, रांगामटिया, कुंजोड़ा, बेलडीह, अंबा, दहजोरिया, बुढ़वाडंगाल, नावाडीह, खागा, तिलैया, बागजोरी, पातटिपी, कड़रासाल, दुधानी व चकतरना […]

पालोजोरी : देवघर प्रखंड की तरह पालोजोरी में राष्ट्रीय बागवानी मिशन की योजना में भारी घपला प्रकाश में आया है. यहां आम का पौधा लगाने के एवज में राशि के वारे-न्यारे कर दिये गये हैं. विभागीय आंकड़ों के मुताबिक सुग्गीपहाड़ी, रांगामटिया, कुंजोड़ा, बेलडीह, अंबा, दहजोरिया, बुढ़वाडंगाल, नावाडीह, खागा, तिलैया, बागजोरी, पातटिपी, कड़रासाल, दुधानी व चकतरना गांवों में मिशन की ओर से मैस्प संस्था द्वारा आम के पौधे लगाये गये थे. यहां भी कागज पर ही 200 हेक्टेयर में आम के पौधे लगा दिये गये, लेकिन चयनित लाभुकों की जमीन आज भी परती पड़ी हुई है.

राष्ट्रीय बागवानी मिशन के तहत वित्तीय वर्ष 2009-10 में जिला उद्यान कार्यालय से मैस्प संस्था को 13 जनवरी 2011 को जिलस्तरीय बैठक में कुल 42.40 लाख रुपये उपलब्ध कराया गया था. इसमें 22.50 लाख रुपये में संस्था के द्वारा उक्त गांवों में केवल आम का पौधा लगाया जाना था. शेष राशि 16.60 लाख रुपये से सिंचाई सुविधा के लिए तालाब व कुआं का निर्माण करना था. 2.70 लाख से फूलों की खेती व 35 हजार रुपया से मधुमक्खी पालन मद में खर्च करना था. सबसे अधिक राशि 22.50 लाख रुपये 200 हेक्टेयर में केवल आम के पेड़ लगाने में खर्च करने की जिम्मेवारी थी. इसके एवज में संस्था को पूरी राशि 42.40 लाख रुपया मुहैया करा दी गयी. लेकिन धरातल पर सच्चाई बिल्कुल अलग है.

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