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दहेज प्रताड़ना के सबसे अधिक 712 केस दर्ज छेड़खानी के 115 व दुष्कर्म के भी 21 मामले आये

देवघर : वर्ष 2019 समापन की ओर है. यह साल काफी उतार-चढ़ाव भरा रहा है. इस वर्ष कोर्ट में मुकदमा दर्ज कराने वालों की संख्या में इजाफा हुआ है. कोर्ट में इस साल 1742 मुकदमें दर्ज कराये गये, जबकि गत वर्ष 2018 में कोर्ट में शिकायतवाद दर्ज कराने वालों की संख्या 1465 रही थी. बीते […]

देवघर : वर्ष 2019 समापन की ओर है. यह साल काफी उतार-चढ़ाव भरा रहा है. इस वर्ष कोर्ट में मुकदमा दर्ज कराने वालों की संख्या में इजाफा हुआ है. कोर्ट में इस साल 1742 मुकदमें दर्ज कराये गये, जबकि गत वर्ष 2018 में कोर्ट में शिकायतवाद दर्ज कराने वालों की संख्या 1465 रही थी. बीते साल की तुलना में इस वर्ष लगभग तीन सौ मुकदमे ज्यादा दर्ज हुए हैं. देवघर अनुमंडल के अंतर्गत देवघर नगर थाना, महिला थाना, साइबर थाना, बाबा बैद्यनाथधाम मंदिर थाना, जसीडीह, कुंडा, मोहनपुर, देवीपुर, सोनारायठाढ़ी, सारवां, रिखिया आदि थाना आते हैं.

इन थाना क्षेत्रों के अंतर्गत विभिन्न जगहों पर हुई घटनाओं को लेकर जो मामले थाना में दर्ज नहीं किये जाते हैं, वे पीड़ित पक्षकार या क्षुब्ध पक्षकार कोर्ट में शिकायतवाद दाखिल करते हैं. इसमें इस वर्ष पहले जो जीओसीआर केस हुआ करता था, उसे भी कंप्लेंट केस की श्रेणी में दर्ज कर दिया गया है. केस के आंकड़ों के अंतर्गत उत्पाद विभाग, वन विभाग व मापतौल विभाग के सरकारी केस भी शामिल हैं.

सीजेएम कोर्ट के नाम ज्यादातर मुकदमा दर्ज करने का पिटीशन दाखिल किये जाते हैं व कंप्यूटर सेक्शन में यह दाखिल होता है. जनवरी 2019 से लेकर दिसंबर 2019 तक के आंकड़ों पर गौर किया जाये तो कुल मुकदमों का ग्राफ 1742 तक पहुंच गया है. कोर्ट में दाखिल शिकायतवाद का महिला व पुरुष के अनुसार वर्गीकरण के आंकड़ों को देखा जाये तो महिलाएं पुरुषों की तुलना में अव्वल है. इस वर्ष 1042 महिलाओं ने कोर्ट की शरण ली है, जबकि 700 पुरुषों ने अपनी फरियाद रखे हैं. कहने का तात्पर्य है कि पुरुषों की तुलना में महिलाओं ने ज्यादा केस दर्ज कराने में हिम्मत दिखायी है.

इसे दूसरे अर्थों में देखा जाये तो ज्यादातर महिलाएं प्रताड़ना की शिकार हुई है. न्यायालय में महिलाओं द्वारा दर्ज कराये मुकदमों में दहेज प्रताड़ना के सबसे अधिक 712 हैं, जबकि छेड़खानी के 115, डायन प्रताड़ना के 97, रेप केस के 21, अपहरण केस के 7, दहेज हत्या के 3 व अन्य 87 हैं. इसी प्रकार पुरुषों द्वारा दर्ज कराये मुकदमों में मारपीट व छिनतई के ज्यादा हैं जबकि इसमें ज्यादातर विभागीय केस हैं जिसकी संख्या तकरीबन तीन सौ से भी ज्यादा हैं. शेष मुकदमों में मारपीट, छिनतई, चेक बाउंस, रुपये गबन करने, जालसाजी करने आदि के हैं.

इन मुकदमों को हर माह के आइने में देखा जाये तो करीब डेढ़ सौ मुकदमे हर माह दर्ज हुए हैं. प्रतिदिन के हिसाब से देखें तो हर दिन पांच मुकदमे सिर्फ कोर्ट में दर्ज हो रहा है. इस वर्ष दर्ज मुकदमों में से 740 मुकदमे निष्पादित हुए हैं, जबकि शेष मुकदमों को अलग-अलग मजिस्ट्रेट कोर्ट में ट्रायल के लिए भेज दिया गया है. केस को प्राय: थाना के अनुसार ट्रायल के लिए बांट दिया गया है.

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