दो घंटे तक जांच-पड़ताल कर एएनएम, सहिया, आउटसोर्सिंग सुपरवाइजर, डीएस व सीएस से ली गयी जानकारी
देवघर : आरती देवी के नवजात बच्ची की बिक्री की जांच करने शुक्रवार दोपहर में डीसी द्वारा गठित जांच दल एसडीओ विशाल सागर के नेतृत्व में सदर अस्पताल पहुंची. अस्पताल के प्रसूति कक्ष पहुंचकर इनडोर रजिस्टर सहित सभी पंजी, बीएचटी व प्रसूति को दी जाने वाली पर्ची जांच की. आरती के अस्पताल में भरती होने से लेकर जाने तक किस-किस की ड्यूटी थी, इसकी पूरी जानकारी ली गयी.
मामले में सिविल सर्जन सहित सदर अस्पताल डीएस डॉ सीके शाही, महिला डॉक्टर सुषमा वर्मा से जानकारी ली और प्रसूति कक्ष की इंचार्ज बबीता, एएनएम पूनम कुमारी, गीता मरांडी, आउटसोर्सिंग बालाजी कंपनी के सुपरवाइजर रविंद्र सिंह व आरोपित सहिया रेखा देवी से मामले में पूछताछ की.
जांच टीम सदर अस्पताल में करीब दो घंटे तक रही और एक-एक कर पूरे मामले की जानकारी ली.जांच के पश्चात एसडीओ ने पत्रकारों से कहा कि प्रथम द्रष्टया जानकारी मिली कि आरती की नवजात बच्ची की सहिया व सफाइकर्मी ने मिलकर बिक्री थी. उसके एवज में 11000 रुपये भी लिये गये थे. मामले में एएनएम, सहिया व आउटसोर्सिंग कंपनी के सुपरवाइजर का लिखित बयान लिया है. सहिया पर लिखित कार्रवाई करने का निर्देश दिया है.
पता चला कि मामला संज्ञान में आने के बाद आउटसोर्सिंग कंपनी द्वारा सफाइकर्मी को हटा दिया गया है. वहीं सिविल सर्जन ने सहिया को हटाने का मौखिक आदेश जारी कर दिया है. लेवर रुम के इनडोर व अन्य पंजी की इंट्री में भी हेरफेर पाया गया है. पूरा नाम इंट्री नहीं है. एएनएम पूनम ने जांच टीम के पास बतायी कि मरीज 11 अगस्त को दोपहर करीब 1:20 बजे दर्द से कराहते हुए अकेली प्रसूति कक्ष पहुंची थी. उसके नवजात बच्ची के जन्म होने के बाद सहिया व उसका पति पहुंचा था.
आरती की रिपोर्ट लेकर सहिया ही वहां आयी थी. सहिया के बयान में हेरफेर मिला. बाद में सहिया ने एसडीओ के सामने यह खुलासा कि सफाईकर्मी मिथिलेश उसकी पुत्री की ननद है. उसी से बच्चा लेने वाली सिंपी की जान-पहचान थी. सिंपी को मिथिलेश ने ही कॉल कर बुलाया था. 12 अगस्त की रात करीब आठ बजे सिंपी अस्पताल आयी तो उसे उनलोगों ने बच्चा दे दिया था. बदले में सिंपी ने उनलोगों को खुशी से 11000 रुपये दी थी. मौके पर प्रशिक्षु आइएएस रवि आनंद भी थे.