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देवघर : मोहनपुर के आधा दर्जन गांवों में मशीन से बन रहा एटीएम का क्लोन

देवघर : न पिन संबंधी कॉल, न ही खाता संख्या की जानकारी, फिर भी अकाउंट से पैसे निकल जाने की घटनाओं में इजाफा हुआ है. दरअसल, साइबर क्रिमिनलों ने साइबर क्राइम का नया तरीका इजाद किया है. आपके एटीएम का क्लोन तैयार इ-पॉश मशीन के जरिए पैसे का ट्रांसफर कर दिया जाता है. यह खेल […]

देवघर : न पिन संबंधी कॉल, न ही खाता संख्या की जानकारी, फिर भी अकाउंट से पैसे निकल जाने की घटनाओं में इजाफा हुआ है. दरअसल, साइबर क्रिमिनलों ने साइबर क्राइम का नया तरीका इजाद किया है. आपके एटीएम का क्लोन तैयार इ-पॉश मशीन के जरिए पैसे का ट्रांसफर कर दिया जाता है.

यह खेल कहीं और नहीं मोहनपुर प्रखंड के कई गांवों में हो रहा है. मोहनपुर थाना क्षेत्र के आधे दर्जन गांवों में साइबर ठगों के पास करीब दो हजार एटीएम का क्लोन बनकर तैयार है. एटीएम का क्लोन बनाने वाला साइबर ठगों का यह गिरोह घोरमारा, बांक, आमगाछी, पारोडाल, लतासारे व जगतपुर में सक्रिय है.

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, इन छह गांवों में करीब 150 साइबर ठगों के पास दो हजार एटीएम का क्लोन है. यह एटीएम का क्लोन आपके एटीएम का भी हो सकता है. साइबर ठग एटीएम कार्ड का क्लोन बनाने वाली मशीन दिल्ली से खरीद कर लायी है. एक मशीन की कीमत ढाई लाख रुपये बतायी जाती है.
पूरे इलाके में तीन क्लोन बनाने वाली मशीन साइबर ठगों ने लाया है. इस मशीन से पलभर में एटीएम कार्ड तैयार कर किसी भी ग्राहक के पिन नंबर का इस्तेमाल कर पैसे निकाले जा रहे हैं. एटीएम का क्लोन बनाने वाले इस गिरोह में शामिल एक-एक युवक 50 लाख रुपये से एक करोड़ रुपये तक कमाई कर रहा है. साइबर ठग इस क्लोन एटीएम के जरिये ग्राहकों के खाते से पैसा ट्रांसफर करने के लिए ई-पॉश मशीन का इस्तेमाल कर रहे हैं.
साइबर ठगों तक कहां से पहुंचा ई-पॉश मशीन
एक दर्जन से अधिक साइबर ठगों ने 25 से 30 हजार रुपये में ई-पॉश मशीन बाजार से खरीद लिया है. क्लोन मशीन बैंकों को ही देने का प्रावधान है, अब यह सवाल उठ गया है कि बैंकों को दिये जाने वाली मशीन सीधे साइबर ठगों के हाथों में कैसे पहुंच गया है.
सुरक्षित रखा गया है एटीएम क्लोन बनाने वाली मशीन
दिल्ली से मंगवायी गयी एटीएम क्लोन बनाने वाली मशीन को साइबर ठग काफी सुरक्षित एरिया में रखा है. इस मशीन को बंद कमरे में रखकर पूरा गिरोह काम कर रहा है. इस फर्जीवाड़े में पुराने एटीएम कार्ड का इस्तेमाल हो रहा है. बड़े पैमाने पर गरीब, मजदूर व निरक्षर लोगों का एटीएम कार्ड का प्रयोग एटीएम का क्लोन में किया जा रहा है. साथ ही कोई भी पुराने व कैंसिल एटीएम कार्ड का भी इस्तेमाल हो रहा है. एक-एक युवक के पास 30 से 40 क्लोन एटीएम है.
तीन साइबर ठग निशाने पर
एटीएम क्लोन मशीन का इस्तेमाल करने वाले व क्लोन को तैयार कर पैसे निकालने वाले तीन साइबर ठग को भाेपाल की पुलिस ने चिह्नित किया था. इसमें घोरमारा गांव के दो युवक व बांक बढ़ही टोला के एक युवक का नाम शामिल है. पिछले दिनों भोपाल पुलिस मोहनपुर थाना क्षेत्र के एटीएम क्लोन बनाने वाले एक बउआ नामक युवक की तलाश में पहुंचे थी, लेकिन बउआ नहीं मिलने पर पुलिस वापस लौट गयी थी.
  • साइबर ठगों ने तैयार किया दो हजार एटीएम क्लोन
  • दिल्ली से खरीदी गयी है तीन एटीएम क्लोन मशीन
  • घोरमारा, आमगाछी व बांक में हो रहा मशीन का प्रयोग
  • पैसे निकालने के लिए ई-पॉश मशीन का इस्तेमाल
मशीन से ऐसे बन रहा एटीएम का क्लोन
साइबर ठग दो तरह से एटीएम क्लोन बनाने के लिए तरकीब अपनाता है. पहले तरीके में एटीएम में पैसे निकलाने के दौरान किसी भी ग्राहक को मदद के नाम उनका एटीएम लेकर बदल लेता है. उसके बाद बदले गये ग्राहक के एटीएम को क्लोन बनाने वाली मशीन में स्वेप कर सारा डाटा कॉपी कर लेता है. इसके बाद क्लोन मशीन को लैपटॉप से अटैच कर खास सॉफ्टवेयर के जरिये क्लोन कार्ड तैयार कर रुपये की निकास ऑनलाइन कर लेते हैं.
दूसरे तरीके में ऑनलाइन ट्रांसपोर्टिंग नेटवर्किंग कंपनी के एप में कोई भी एटीएम कार्ड का नंबर डालता है, जैसे ही एप में ट्रांसपोर्टिंग नेटवर्किंग कंपनी नंबर को सैलेक्ट करती है तो साइबर ठग को यह पता चल जाता है कि यह कोई एटीएम नंबर के पिन नंबर से मैच कर जायेगा. यह पता चलने पर साइबर ठग बैंक के एप में इस कार्ड नंबर के साथ-साथ एटीएम का कोई भी पिन नंबर डालना शुरू करता है,
लगातार अलग-अलग पिन नंबर डालने के दौरान कोई न कोई पिन नंबर सैलेक्ट हो जाता है, जिसके बाद बैंक के एप से कन्फर्म हो जाता है. इससे एटीएम कार्ड का नंबर व पिन नंबर की सही जानकारी मिलते ही कोई भी पुराने व कैंसिल एटीएम कार्ड में बैंक से प्राप्त एटीएम कार्ड नंबर व पिन नंबर को सॉफ्टवेयर के जरिये ट्रांसफर क्लोन तैयार कर लेता है. इस क्लोन के जरिये आराम से पैसे निकाल लेता है.

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