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देवघर : इस साल 109 एड्स मरीज चिह्नित, तीन बच्चे भी शामिल

राष्ट्रीय एड्स दिवस आज . जागरुकता के बाद भी संताल परगना में नहीं थम रहा एड्स देवघर : हर साल एक दिसंबर को राष्ट्रीय एड्स दिवस मनाया जाता है. एक वक्त था जब एड्स के शिकार लोगों को जिंदगी तो मिली पर अंधविश्वास व जागरुकता नहीं रहने के कारण उनसे अपने भी दूर होते चले […]

राष्ट्रीय एड्स दिवस आज . जागरुकता के बाद भी संताल परगना में नहीं थम रहा एड्स
देवघर : हर साल एक दिसंबर को राष्ट्रीय एड्स दिवस मनाया जाता है. एक वक्त था जब एड्स के शिकार लोगों को जिंदगी तो मिली पर अंधविश्वास व जागरुकता नहीं रहने के कारण उनसे अपने भी दूर होते चले गये. लेकिन, लगातार चलाये जा रहे जागरुकता अभियान के बाद अब लोगों में एड्स मरीजों के प्रति संवेदना तो जगी है.
हालांकि, एड्स से बचाव रोकथाम के लिए चलाये जा रहे जागरुकता अभियान के बावजूद एड्स केमरीजों की संख्या में वृद्धि होना चिंता का विषय है. दुनिया भर के आंकड़ों पर गौर करें तो पूरे विश्व में लगभग 37 मिलियन लोग एड्स से ग्रस्त हैं.
केवल भारत में ही लगभग 2.1 मिलियन लोग एड्स के मरीज हैं. वहीं संताल परगना व बिहार के दो जिला मिलाकर एड्स के 1020 मरीज चिह्नित हो चुके हैं. संताल परगना के देवघर जिले में जुलाई 2011 में एआरटी सेंटर खोला गया. इसके बाद से मरीजों का इलाज होना शुरू हुआ है. अब तक एआरटी सेंटर से 1020 मरीजों का इलाज चल रहा है. जबकि 129 मरीजों की मौत हो चुकी है.
सेंटर की शुरुआत होने के बाद 2012 में 167 मरीजों का इलाज हुआ. लेकिन, छह सालों में एड्स के मरीजों का ग्राफ कभी कम हुआ है तो कभी काफी बढ़ा है. सबसे दुखद पहलू यह है कि एआरटी सेंटर बनने के बाद से अबतक 77 एड्स पीड़ित बच्चे भी चिह्नित हुए हैं. संताल परगना के देवघर, गोड्डा, दुमका, पाकुड़, साहेबगंज, जामताड़ा तथा बिहार के बांका व जमुई जिला के बच्चे शामिल हैं.
सबसे अधिक मरीज देवघर जिले के ही हैं.सरकार की आेर से एड्स मरीजों को 600 रुपये पेंशन के रूप में देने की योजना है. लेकिन, कुछेक जिलों को छोड़ अधिकांश में मरीजों को पेंशन नहीं मिलती. देवघर में ही 129 मरीजों का पेंशन के लिए आवेदन दिया गया पर केवल सात मरीजों को ही पेंशन मिल पा रही है. संताल परगना के एड्स मरीजों की ओर से राज्य सरकार से अंत्योदय कार्ड की मांग की गयी है. ताकि, उन्हें कुछ सुविधा मिल सके. उन्होंने बताया कि किसी व्यक्ति को एड्स होने के बाद उन्हें काफी कमजोरी आ जाती है. एेसे में कोई भी काम करने में असमर्थ हो जाते हैं.
एड्स चिह्नित अधिकांश पीड़ित मजदूर वर्ग के
अबतक एड्स के चिह्नित मरीजों में अधिकांश मजदूर के हैं. संताल परगना से काफी तादाद में मजदूर रोजी-रोटी के लिए दूसरे प्रदेश जाते हैं. कई मजदूर असुरक्षित यौन संबंध के कारण इस बीमारी से ग्रसित हो जाते हैं. बाद में घर आने पर जांच के दौरान उनकी पहचान हो पाती है.
एआरटी सेंटर के आंकड़े
वर्ष पुरुष महिला बच्चे
2012 91 63 13
2013 50 41 07
2014 67 52 07
2015 88 47 16
2016 79 61 17
2017 84 74 14
2018 55 51 03
2018 में नवंबर माह की संख्या
अपडेट नहीं है.
एड्स रोग कैसे फैलता है
एचआइवी संक्रमित व्यक्ति के साथ यौन संबंध बनाने से, संक्रमित सिरिंज व सूई का दूसरों के द्वारा उपयोग करने पर, संक्रमित मां से शिशु को जन्म से पूर्व, प्रसव के समय या प्रसव के बाद, संक्रमित खून चढ़ाने से.
पीड़ित के साथ बैठने व छूने से नहीं होता एड्स
एचआइवी मरीज के साथ बैठने, छूने से नहीं फैलता है. एक साथ भोजन करना, पानी पीना, बर्तन कपड़े साथ बैठने व सफर करने से नहीं फैलता, मच्छर व अन्य कीटाणुओं या जानवरों के काटने से भी यह नहीं फैलता है. कार्यालय में एक साथ काम करने उपकरण का उपयोग करने, एक कमरे में सांस लेने से नहीं फैलता है.

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