देवघर : बाबा वैद्यनाथ की पावन नगरी देवघर में एक महान विद्वान आचरण के धनी शिक्षाविद नरसिंह पंडित के ज्ञानवर्धन के बहुमूल्य समय आज भी कण-कण में समाहित है. पंडितजी के रूप में आभामंडल व्याप्त है. इस कारण अपने व्यक्तित्व कीर्ति से कितने बहुआयामी व्यक्तित्व को उभारने के लिए याद किया जाता रहेगा पंडितजी का जीवन. समय पंडितजी के साथ चलता था, उन्होंने कभी घड़ी नहीं पहनी. लेकिन वह किसी कार्यक्रम में देर से नहीं पहुंचते थे.
छह दशकों तक वे देवघर में रहे. उस काल खंड में उन्होंने देवघर के जनजीवन को काफी प्रभावित किया. उनका संपूर्ण जीवन अनुकरणीय आदर्श के रूप में स्थापित रहा. शिक्षक जीवन पत्रकारिता से जुड़े जनसमस्याओं को उभारने में कोई कसर नहीं छोड़ी 1991 हिंदी विद्यापीठ पत्र-पत्रिका के संपादक के रूप में उन्होंने अपने जीवन के साहित्य का मानदंड स्थापित किया आज भी हो रहा है.
अधिकांश समय पांव पैदल यात्रा करने के कारण उनके शिष्यों का उनके दर्शन के साथ चरण स्पर्श कर आशीष ग्रहण करने का मौका मिलता था. न सिर्फ हिंदी विद्यापीठ बल्कि इस परिसर के अन्य शैक्षणिक संस्थान गोवर्धन कुमार विद्यालय, उच्च विद्यालय में लगातार अध्यापक के रूप में ज्ञान रूपी गंगा का बहाव करते रहे हैं. यही कारण है वे शिक्षा के पराकाष्ठा को प्राप्त करने के लिए ध्यान चिंतन आदि को प्रमुखता से ग्रहण करते थे. उनके छात्र आज भी उनकी अध्यापन कुशलता के कार्य दक्षता की मुक्त कंठ से प्रशंसा करते हैं. अपने हक के लिए नहीं बल्कि समस्त मानव समुदाय और विश्व कल्याण के लिए वे जीवन पर्यंत शिक्षा की सेवा करते रहे.