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मेहनत का पसीना दूध संवार रहा जिंदगी

सरकार की योजना पशुपालक किसानों के लिए बनी सार्थक किसानों ने कहा कि सरकार की योजना भी उनके लिए सार्थक रही. कृषि मंत्री के पहल से इस क्षेत्र में बीपीएल परिवारों के लिए दो गाय की योजना आयी. इसके तहत गोपाल सिंह को दो गाय मिले. इसी दो गाय से 30 लीटर दूध प्रत्येक दिन […]

सरकार की योजना पशुपालक किसानों के लिए बनी सार्थक

किसानों ने कहा कि सरकार की योजना भी उनके लिए सार्थक रही. कृषि मंत्री के पहल से इस क्षेत्र में बीपीएल परिवारों के लिए दो गाय की योजना आयी. इसके तहत गोपाल सिंह को दो गाय मिले. इसी दो गाय से 30 लीटर दूध प्रत्येक दिन प्राप्त कर रहे हैं. अन्य बीपीएल किसानों को भी इस योजना का लाभ मिला और आज वे अपनी जिंदगी संवार रहे हैं.

देवघर : किसान दूध उत्पादन कर अपनी आमदनी बढ़ायें, इसके लिए कृषि मंत्री रणधीर सिंह ने जीवनाबांध व कचुवाशोली पंचायत में बीपीएल परिवार की लगभग 400 महिलाओं को दो-दो गाय 90 फीसदी अनुदान पर उपलब्ध कराया है. पहले फेडरेशन की ओर से मुफ्त में मेधा मिनरल मिक्स्चर दिया जाता था, जिसे बंद कर दिया गया है.

राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड आने से बदली जिंदगी
एक सितंबर 2014 को राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड की ओर से ऊपरबांधी के पहला दुग्ध उत्पादन केंद्र बनते ही किसानों की जिंदगी बदलने लगी. केंद्र के संचालक निलेश कुमार ने किसानों को केंद्र से जोड़ना शुरू किया. कुछ दिनों बाद उनका प्रयास रंग लाया व किसानों ने केंद्र से जुड़ने में अपनी रुचि दिखानी शुरू कर दी. देखते ही देखते चार सालों में आज इस केंद्र से 200 किसान जुड़ गये हैं. केंद्र से प्रतिदिन 1500 लीटर दूध मेधा डेयरी को भेजा जाता है.
हर दिन डेढ़ क्विंटल दूध उत्पादन कर रहे अरुण
पालोजोरी के अरुण यादव हर दिन डेढ़ क्विंटल दुग्ध उत्पादन कर रहे हैं. इसके अलावा दौंदी के किसान गोपाल सिंह भी अन्य गौ पालकों के लिए एक मिसाल बने हैं. दौंदी व ऊपरबांधी गांव को संताल परगना में पहचान दिलाने में मनोरंजन सिंह, राजीव रंजन सिंह, गोपाल सिंह, निलेश कुमार राय, जयमाला देवी का भी योगदान रहा है. सबसे पहले दौंदी गांव के मनोरंजन सिंह व राजीव रंजन सिंह ने डेयरी को दूध देना शुरू किया और धीरे-धीरे यह कारवां बढ़ता गया.
सुबह-शाम कतार में लगकर जमा करते हैं दूध
दुग्ध उत्पादक किसान हर दिन सुबह-शाम कतार में लगकर केंद्र में दूध जमा करने लगे. जब किसानों की संख्या बढ़ गयी व भीड़ होने लगी तो कुरुवा में एक अन्य दुग्ध कलेक्शन सेंटर खोला गया. केंद्र से प्रत्येक दिन मेधा डेयरी के टैंकर से दूध संग्रह किया जाता है. यह वाहन पालोजोरी भी आती है. केंद्र से ऊपरबांधी, दौंदी, कचुवासोली, असहना, जीवनाबांध, रांगाटांड़ के अलावे कुरुआ केंद्र से कुरूआ, तेंतरीया, फतेहपुर, सिरसा, गुलालडीह, डुमरकोला, बसमत्ता सहित अन्य गांव जुड़े हैं.
हर दस दिन में मिला है पैसा
डेयरी से जुड़े किसानों काे दूध उपलब्ध कराने के एवज में हर दस दिन में उनके खाते में पैसे जमा हो जाते है़ं इससे किसानों को काफी सहूलियत होती है. किसानों के अनुसार इससे गाय का खाना व अन्य काम करने में उन्हें आसानी हुई है. किसान अपने पशुओं का भी पूरा ख्याल रखते हैं. समय पर चारा खिलाना, बीमार होने पर पशुओं का समय पर इलाज कराना यह उनकी दिनचर्या में शामिल हो गया है. इस प्रकार किसान मेहनत के पसीने से दूध क्रांति लाकर अपनी जिंदगी संवार रहे हैं.
दौंदी व ऊपरबांधी पालोजोरी का सबसे ज्यादा दुग्ध उत्पादक गांव
पांच किसान से शुरू हुआ दुध उत्पादन, देखते ही देखते जुड़े 200 किसान
हर दिन 1500 लीटर दूध भेजा जाता है मेधा डेयरी
किसान अपने साथ गायों का भी रखते हैं पूरा ख्याल
कहते हैं किसान
शुरुआत में काफी परेशानी हुई थी पर अब लोग इसे व्यवसाय के रूप में लेना शुरू कर दिया है. किसानों के मेहनत के कारण ही यहां के प्रत्येक दिन 1500 लीटर दूध जमा हो रहा है.
निलेश कुमार राय
गाय के खान पान का ध्यान रख कर बेहतर दूध का उत्पादन किया जा सकता है. दुधारू पशुओं को उसके दूध उत्पादन का आधा का दाना, चोकर व खाना देते हैं. गाय का विशेष ध्यान रखते हैं.
गोपाल सिंह
गाय के सेवा पर दूध का उत्पादन निर्भर करता है. अपने पशुओं का विशेष ख्याल रखते हैं. सुबह से रात तक गाय के पीछे लगा रहना पड़ता है.
जयमाला देवी
पशुओं को भरपूर खाना दे कर वह दूध का उत्पादन करते हैं. इस व्यवसाय से जुड़ कर उन्हें काफी अच्छा लग रहा है.
तेना किस्कू

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