चितरा : चितरा में नौ दिवसीय श्री श्री लक्ष्मी नारायण महायज्ञ का समापन मंगलवार को हो गया. यज्ञ में श्री श्री 1008 प्रेममूर्ति प्रेम भूषण जी महाराज की राम कथा को सुनने के लिए बिहार, बंगाल, उत्तर प्रदेश व झारखंड के दूर-दूर के लोग चितरा पहुंचे. सोमवार की रात महाराज जी ने राम कथा केे दौरान राम विवाह के मनोरम दृश्य का वर्णन बड़े मधुर स्वर के साथ किया.
हजारों की संख्या में जुटे श्रद्धालु मंत्रमुग्ध होकर झूमने लगे. उन्होंने कहा कि जिनके स्मरण मात्र से अमंगल भी मंगल हो जाये, उनका ही स्मरण मानव को करना चाहिए. श्रेष्ठ होना सरल नहीं बहुत ही कठिन है. श्रेष्ठ बनेे रहना और भी कठिन है. साथ ही कहा कि भक्ति, श्रद्धा व प्रेम को छिपा कर रखने की आवश्यकता है. प्रेम अनुभव करने की चीज है. प्रेम का किसी प्रकार तोल-मोल नहीं होता है. उन्होंने कहा कि जीवन में अगर किसी व्यक्ति को कुछ करना है तो व्यक्ति अपना उत्साह बनाये रखे. उत्साह बनाये रखने पर व्यक्ति एक न एक दिन अवश्य सफलता की सीढ़ी पर चढ़ता है.
अयोध्या से मिथिला के लिए बरात प्रस्थान के वर्णन के दौरान महाराज जी ने भजन अवध नगरिया से चलल बरियतिया प्रस्तुत किया. कहा कि जब भगवान श्रीराम विवाह के लिए पहुंचते हैं उनके अप्रतिम सौंदर्य से समस्त मिथिला वासी खुश हैं. औरतें गीत गा रही हैं और नृत्य कर रहीं हैं. साक्षात ब्रह्मा जी ने शादी का मुहूर्त तैयार किया और नारद जी लग्न पत्रिका ले जाने के लिए तैयार हुए. खुद पितामह ब्रह्मा ज्योतिषी बने. कहा कि यह साधारण जीव का विवाह नहीं बल्कि साक्षात ब्रह्म का विवाह है. राजा जनक ने बरातियों का अभूतपूर्व स्वागत किया. यज्ञ के मौके पर पूर्व स्पीकर शशांक शेखर भोक्ता, जामताड़ा के पूर्व विधायक विष्णु प्रसाद भैया, पूर्व जिप उपाध्यक्ष परिमल सिंह, मानवाधिकार संघ के प्रदेश उपाध्यक्ष वीरेंद्र कुमार सिंह, ट्रांसपोर्टर शंकर प्रसाद शर्मा, राममोहन चौधरी, युगल किशोर सिंह, कृष्णा सिंह समेत हजारों की संख्या में श्रद्धालु उपस्थित थे.