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किसानों को अंशदान देने के बाद भी नहीं मिला पंपसेट, अब लगा रहे चक्कर

कृषि विभाग से 90 फीसदी अनुदान पर मिलनेवाला पंपसेट का मामला देवघर : कृषि विभाग के भूमि संरक्षण कार्यालय से 90 फीसदी अनुदान पर मिलने वाला पंपसेट से कई किसान वंचित रह गये हैं. किसानों से विभाग ने 10 फीसदी अंशदान की राशि पंपसेट के अधिकृत विक्रेता के पास वर्ष 2016 में ही जमा करवा […]

कृषि विभाग से 90 फीसदी अनुदान पर मिलनेवाला पंपसेट का मामला
देवघर : कृषि विभाग के भूमि संरक्षण कार्यालय से 90 फीसदी अनुदान पर मिलने वाला पंपसेट से कई किसान वंचित रह गये हैं. किसानों से विभाग ने 10 फीसदी अंशदान की राशि पंपसेट के अधिकृत विक्रेता के पास वर्ष 2016 में ही जमा करवा लिया, लेकिन उन्हें पंपसेट आज तक नहीं मिल पाया है.
जिले भर में करीब दो दर्जन किसान विभाग के इस पेच में फंस कर कभी अधिकृत विक्रेता तो कभी भूमि संरक्षण कार्यालय का चक्कर लगा रहे हैं. किसानों को पंपसेट से सिंचाई करने की योजना धरी-की-धरी रह गयी. दरअसल भूमि संरक्षण कार्यालय से वैसे किसानों को 30 हजार रुपये तक की लागत वाली पंपसेट देने की योजना थी, जिन्हें मनरेगा से सिंचाई कूप मिला था. इस योजना में 10 फीसदी अंशदान की राशि तीन हजार रुपये किसानों को खुद भुगतान करने का प्रावधान था.
मुखिया ने किया था सत्यापन : प्रखंडों से मुखिया व रोजगार सेवकों के सत्यापन के बाद प्रखंड कृषि पदाधिकारी द्वारा किसानों की सूची भूमि संरक्षण कार्यालय को 2016 में सौंपी गयी.
विभाग द्वारा स्वीकृति मिलने के बाद किसानों से अंशदान की राशि तीन हजार रुपये विभागीय पदाधिकारियों ने पंपसेट आपूर्ति करने वाली कंपनी के अधिकृत विक्रेता के पास जमा करा दिया. किसानों ने 2016 में ही तीन-तीन हजार रुपये देवघर शहर के एक अधिकृत पंपसेट विक्रेता के पास जमा किया. विभाग से किसानों को कहा गया था कि अधिकृत विक्रेता को सूची सौंप दी गयी है. बारी-बारी कर किसानों को पंपसेट मुहैया करा दिया जायेगा. पिछले दो वर्ष में किसान भूमि संरक्षण कार्यालय व अधिकृत विक्रेता के पास कई बार चक्कर लगा चुके हैं, उन्हें केवल आश्वासन ही मिल रहा है.
केस स्टडी-3
छोटबहियारी गांव के गौरीशंकर यादव ने कहा कि 30 हजार रुपये का पंपसेट प्राप्त करने के लिए तीन हजार तो पहले जमा कर दिये थे, अब उस राशि को वसूलने में हजारों रुपये खर्च हो चुका है. विभाग न पैसा लौटाती है और न ही पंपसेट मुहैया कराती है.
केस स्टडी-4
चुल्हिया गांव के बासुदेव चौधरी ने कहा कि पैसा जमा किये दो वर्ष बीतचुका है, इस दौरान अधिकृत विक्रेता द्वारा अगला आवंटन प्राप्त होते ही पंपसेट देने की बात करते हैं, लेकिन अभी तक पंपसेट नहीं मिला.
पैसा जमा करने के दो वर्ष बाद भी किसान चिंतित, कैसे होगी सिंचाई ?
केस स्टडी-1
मोहनपुर प्रखंड के चिहुंटिया निवासी किसान संतोष यादव ने कहा कि उनके पास मनरेगा का सिंचाई कूप भी है. प्रखंड से पंपसेट की सूची भूमि संरक्षण कार्यालय भेजी गयी थी. बीएओ के कहने पर हमलोगों ने 2016 में तीन हजार रुपये अधिकृत विक्रेता के पास जमा किया था, लेकिन पंपसेट अभी तक नहीं मिल पाया है.
केस स्टडी-2
बलथर गांव के मुकेश यादव ने कहा कि तीन हजार रुपये कर्ज लेकर सभी विभागीय प्रक्रिया पूरी कर पंपसेट का पैसा अधिकृत विक्रेता के पास जमा किया था. लेकिन दो वर्ष में कई बार उस दुकान में पंपसेट मांगने के बाद भी नहीं दिया गया. सिंचाई संसाधन नहीं रहने से रबी की खेती भी नहीं कर पाते हैं.
अधिकृत विक्रेता को लौटा देना था पैसा : सिंह
भूमि संरक्षण सर्वेक्षण पदाधिकारी रामकुमार सिंह ने बताया कि वित्तीय वर्ष 2016-17 पंपसेट के लिए जो राशि आवंटित की गयी थी, वह राशि सरेंडर हो चुकी है. यह योजना बंद हो चुकी है. किसानों को नयी योजना के तहत अब पंपसेट दी जा रही है. जिन किसानों ने अधिकृत विक्रेता के पास पैसा जमा किया था, उन्हें पैसा लौटा देना है. अधिकृत विक्रेता को किसानों का पैसा लौटाने के लिए कई बार निर्देश दिया गया है. अगर पैसा नहीं लौटाया गया है तो इसकी समीक्षा होगी व नोटिस भेजी जायेगी.

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