देवघर: तीर्थनगरी देवघर के लोग पिछले एक पखवारे से अधिक समय से पावर क्राइसिस से जूझ रहे हैं. दिन भर उमस भरी गरमी से लोग जूझते हैं. शाम होते ही अंधेरे से लोगों की मुश्किलें बढ़ जाती है. यहां मांग 75 से 80 मेगावाट कि विरुद्ध औसतन 40 मेगावाट बिजली मिल रही है. उपभोक्ताओं को औसतन 12-15 घंटे ही बिजली मिल पा रही है.
पावर क्राइसिस की वजह से घरेलू कामकाज सहित उद्योग, बाजार, स्वास्थ्य सेवाएं, सरकारी एवं गैर सरकारी कार्यालयों की सेवाओं पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है. लेकिन, विद्युत विभाग के पास पावर क्राइसिस से निबटने के लिए कोई पुख्ता इंतजाम नहीं है. बेचारे उपभोक्ताओं को भगवान भरोसे छोड़ दिया गया है. शिकायत के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हो रही है. बेचारे उपभोक्ता तय नहीं कर पा रहे हैं कि आखिर शिकायत कहां करें और निजात कैसे पायें.
जेनेरेटर की शोर-गुल और लोगों की मुश्किलें : बिजली संकट से निजात पाने के लिए उद्योग, होटल व्यवसाय, स्वास्थ्य सेवाएं आदि जेनेरेटर पर आश्रित हो गयी है. लगातार जेनेरेटर के शोर-गुल से लोगों की परेशानी बढ़ती ही जा रही है. ऐसे में आम जिंदगी जीने वाले लोग थकान एवं अनिंद्रा के शिकार हो रहे हैं.
हॉस्टल के छात्रों के समक्ष भी कई मुश्किलें : घंटों पावर क्राइसिस की वजह से हॉस्टल में रह रहे कॉलेज के छात्रों के समक्ष नियमित पठन-पाठन भी एक चुनौती बनी हुई है. हॉस्टल के छात्र दिन भर गरमी से परेशान रहते हैं. शाम के वक्त पढ़ाई करने का सपना संजोने वाले छात्रों को बिजली नसीब नहीं हो रही है. न ही हॉस्टल के छात्रों को नियमित केरोसिन की आपूर्ति ही हो रही है.
राह में पसरा रहता है अंधेरा : पावर क्राइसिस की वजह से नगर निगम क्षेत्र का अधिकांश क्षेत्र शाम के बाद अंधेरे के गिरफ्त में पहुंच जाता है. सड़कों के किनारे लगी स्ट्रीट लाइट नहीं जलती है. राहगीरों एवं आवागमन करने वालों के लिए पैदल चलना दूभर हो गया है.
‘बिजली आपूर्ति का जिम्मा विभाग का है. पावर क्राइसिस से संबंधित उपभोक्ताओं की कोई शिकायत नहीं मिली है. शिकायत मिलने पर कुछ करूंगा.’
– अमीत कुमार, उपायुक्त देवघर.
‘देवघर में तकरीबन 80 मेगावाट बिजली की जरूरत है. लेकिन, तकनीकी वजह से मांगों के अनुरूप बिजली की आपूर्ति नहीं हो रही है. इस वजह से उपभोक्ताओं को नियमित बिजली की आपूर्ति नहीं हो रहा है.’
– रामजन्म यादव
विद्युत कार्यपालक अभियंता
झारखंड ऊर्जा विकास निगम प्राइवेट लि0, देवघर.