देवघर: साहित्य संवेदना का नाम है. मैथिली साहित्य में इसकी अनंत झलक मिलती है. आज इस भाषा का विस्तार विदेशों में भी हो रहा है. मैथिली कथा-साहित्य अन्य भारतीय भाषा के समरूप बन सके, इसके लिए देश भर में त्रैमासिक कार्यशाला का आयोजन होता है. इसी कड़ी में देवघर के बिजली कोठी में शनिवार शाम ‘कथा मायानंद-जीवकांत स्मृति’ कार्यशाला का आयोजन किया गया. इसमें 81वां ‘सगर राति दीप जरय’ कार्यक्रम का आयोजन किया गया. इसमें देर रात तक कथा पाठ, गीत-संगीत, समालोचना आदि कार्यक्रमों का आयोजन हुआ.
इससे पूर्व मुख्य अतिथि ओपी मिश्र-देवघर, गजेंद्र ठाकुर-नयी दिल्ली, जगदीश प्रसाद मंडल-निर्मली (सुपौल), योगानंद झा-दरभंगा व अरविंद ठाकुर-सुपौल ने दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया. प्रथम सत्र में शिव कुमार मिश्र द्वारा मंगलाचरण व स्वस्ति वाचन की प्रस्तुति हुई. उसके बाद रामदेव मंडल द्वारा स्वागत गीत ‘हम नै छी अहां योग यौ पाहुन .. अहां छी बड़ा महान ..’ की प्रस्तुति हुई. इसके बाद 29वां ‘मैथिली पोथी प्रदर्शनी’ के तहत कुल छह मैथिली की पुस्तकों का लोकार्पण किया गया.
इसमें शिव कुमार झा द्वारा रचित आलोचना पोथी ‘अंशु’, गजेंद्र ठाकुर द्वारा संपादित ‘मैथिली-अंग्रेजी शब्दकोष भाग-2’, बेचन ठाकुर रचित नाटक ‘ऊंच-नीच’, मिथिला का पंजी प्रबंध ‘जीनोम मैपिंग भाग एक व दो’, ‘अंग्रेजी-मैथिली कंप्यूटर शब्दकोष’व ओम प्रकाश झा द्वारा रचित ‘कियो बूङिा न सकल हमरा’ का लोकार्पण अतिथियों ने किया. पोथी लोकार्पण सत्र का संचालन उमेश मंडल ने किया.
कार्यक्रम का आयोजन ओम प्रकाश झा द्वारा किया गया. कार्यक्रम में ओपी मिश्र, राजीव रंजन मिश्र समेत कई साहित्य प्रेमियों ने मैथिली साहित्य से जुड़ी अपनी संवेदना को गीत व काव्य पाठ के माध्यम से व्यक्त किया. मौके पर वरिष्ठ पत्रकार सुशील भारती ने भी मैथिली साहित्य पर अपना वक्तव्य रखा. इस अवसर पर देवघर के सैकड़ों साहित्य प्रेमी उपस्थित थे.