इटखोरी़ सनातन, जैन व बौद्ध धर्म के संगम स्थल मां भद्रकाली मंदिर परिसर में बुधवार को तीन दिवसीय राजकीय इटखोरी महोत्सव का आगाज हुआ. उद्घाटन राज्य के पर्यटन कला संस्कृति खेलकूद एवं युवा कार्य विभाग मंत्री सुदीप कुमार सोनू ने दीप प्रज्वलित कर किया. मौके पर पर्यटन मंत्री ने कहा कि मां भद्रकाली मंदिर पवित्र धार्मिक स्थल है. यहां पर्यटन की असीम संभावनाएं हैं. मंदिर का समुचित विकास हो, इसके लिये काम करूंगा. अगले वर्ष से महोत्सव का वृहत पैमाने पर भव्य आगाज होगा, जिसका प्रचार-प्रसार झारखंड के अलावा बोधगया व दिल्ली में होगा. उन्होंने कहा कि पर्यटन के विकास में जिला प्रशासन जो सहयोग मांगेगा, उसे पूरा करूंगा. मां भद्रकाली महोत्सव मंच पर हिंदुस्तान की परिकल्पना का धार्मिक संगम एक साथ देखने को मिली. राजकीय इटखोरी महोत्सव के माध्यम से यहां के मंदिर की ख्याति पूरी दुनियां में फैलेगी. इसके हेमंत सरकार विशेष कार्य कर रही है. पर्यटन के क्षेत्र में इसे राज्य के पहले स्थान पर जाना जायेगा.
आस्था का केंद्र है मां भद्रकाली मंदिर : डीसी
उपायुक्त रमेश घोलप ने कहा कि वर्ष 2015 में महोत्सव की नींव रखी गयी थी. महोत्सव के माध्यम से यहां के सांस्कृतिक धार्मिक धरोहर स्थल को विकसित करने के साथ विविधता को पहचान दिलाना मुख्य कदम है. यह गर्व का पल है कि मां भद्रकाली मंदिर आस्था का केंद्र है. यह स्थल पवित्र है. त्रिवेणी स्थल के रूप में विख्यात मां भद्रकाली मंदिर पर्यटन के क्षेत्र में मिल का पत्थर साबित हो रहा है. महोत्सव का मुख्य उद्देश्य यहां के धार्मिक स्थल को बढ़ावा देना है. महोत्सव भव्य होगा. चतरा विकास के पथ पर लगातार अग्रसर है.
भद्रकाली मंदिर की पहचान अब विदेशों में होने लगी है : भोगता
राज्य के पूर्व श्रम मंत्री सत्यानंद भोगता ने कहा कि मां भद्रकाली मंदिर की पहचान अब देश के साथ विदेशों में होने लगी है. महोत्सव के माध्यम से मां भद्रकाली मंदिर की पहचान बढ़ी है. चतरा पर्यटन के क्षेत्र में लगातार विकास कर रहा है. भद्रकाली के साथ चतरा जिले के धार्मिक स्थल के समुचित विकास के लिये मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन गंभीर हैं. मुख्यमंत्री राज्यवासियों के सपने को साकार कर रहें हैं. सरकारी योजनाओं का लाभ अंतिम पंक्ति में बैठे लोगों तक मुहैया करायी जा रही है.
सर्किट से जोड़ने की मांग
दिगंबर जैन न्यास बोर्ड के अध्यक्ष ताराचंद जैन ने कहा कि यह तीन धर्मों की पवित्र संगम स्थल है. यहां जैन धर्म के 10वें तीर्थंकर भगवान शीतलनाथ का जन्म हुआ था. इसका प्रमाण यहां मिले खुदाई में मिले ताम्रपत्र से है. उन्होंने इस क्षेत्र को पारसनाथ, राजगीर, बोधगया व कौलेश्वरी से जोड़कर सर्किट बनाने की मांग पर्यटन मंत्री से की.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है