कुंदा. कस्तूरबा गांधी बालिका आवासीय विद्यालय का भवन नौ साल बाद भी बनकर तैयार नहीं हो पाया है. आठ साल से भवन का निर्माण कार्य बंद है. ऐसी स्थिति में स्कूल की छात्राएं निर्माणाधीन भवन में पढ़ाई करने को विवश हैं. आधा-अधूरा भवन के कारण छात्राओं को ठंड का सामना करना पड़ रहा है. छात्राएं जिस बेड पर सोती है, उसी बेड पर पढ़ाई करना होता है. ज्ञात हो कि सुदूरवर्ती क्षेत्र की लड़कियों को शिक्षित करने के उद्देश्य से सरकार ने वर्ष 2005 में कस्तूरबा विद्यालय की स्थापना की थी. 20 वर्ष बाद भी कस्तूरबा विद्यालय का अपना भवन नहीं बन पाया है. ग्रामीणों के अनुसार संवेदक की लापरवाही के कारण भवन अधूरा पड़ा हुआ है. 12 मार्च 2016 को भवन निर्माण शिक्षा विभाग की ओर से 3.86 करोड़ की लागत भरन का निर्माण शुरू हुआ था. भवन में पढ़ाई के लिए 16 कमरों व 26 कमरों का छात्रावास बनाया जा रहा था. एक साल तक निर्माण कार्य चला. इसके बाद से निर्माण कार्य बंद है. भवन के अभाव में छात्राओं को उसी निर्माणाधीन भवन में पढ़ाई करना पड़ रहा है. विद्यालय में छात्राओं की संख्या 474 है. यहां कक्षा छह से 12वीं तक की पढ़ाई होती है. प्रखंड के कई गांव की गरीब व असहाय बच्चियां पढ़ाई करती हैं. वर्जन:: अधूरे भवन में बच्चियों को पढ़ाई करने व रहने में काफी परेशानी हो रही है. अधूरा भवन से संबंधित विभाग को कई बार पत्र लिखा गया है, लेकिन अब तक गंभीरता नहीं बरती गयी. नूतन मरियम कच्छप, वार्डेन
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