मयूरहंड. ग्रामीण क्षेत्र में विलुप्त होती गन्ने की खेती को अब जीवित रखने के लिये एकतारा गांव के किसान सह समाजसेवी एकतारा गांव निवासी शिवकुमार सिंह प्रेरणास्रोत बन गये हैं. वे ढाई एकड़ से अधिक भूमि पर गन्ने की खेती के बाद अब गुड़ उत्पादन कर आर्थिक रूप से समृद्धि हो रहे हैं. गन्ने से रस निकाल अब कोलसार में रावा के साथ सूखा गुड़ बना रहें हैं. गुड़ की सोंधी खुशबू से क्षेत्र महक रहा है. किसान ने इस वर्ष 100 क्विंटल गुड़ उत्पादन का लक्ष्य रखा है. वे नये तरीके से गन्ने की पेराई कर रहे है. कोलसार में बड़े-बड़े मोटर के माध्यम से संचालित मशीन से गन्ने की पेराई हो रही है, जिसमें कम समय में अधिक गन्ने की रस को निकाला जा रहा है. उसके बाद गुड़ बनाया जाता है. बड़े चूल्हे का भाट में बड़े कड़ाही में रस के माध्यम से गुड़ बनाने की प्रक्रिया जारी है.
25 साल से कर रहे हैं खेती
किसान शिवकुमार सिंह ने बताया कि गन्ने की खेती में काफी मेहनत की जरूरत होती है. 25 वर्षों से लगातार गन्ने की खेती कर खुशहाल व समृद्ध बन रहा हूं. गुड़ उत्पादन कर आत्मनिर्भर बनने के साथ-साथ आर्थिक आमदनी भी कर रहा हूं. धान व गेहूं के उत्पादन के अपेक्षा गन्ने की खेती में मुझे आर्थिक आमदनी होती है.
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