टंडवा. एनटीपीसी की नॉर्थ कर्णपूरा ताप विद्युत परियोजना ने तीसरी इकाई राष्ट्र को समर्पित कर दी गयी है. इस इकाई से 660 मेगावाट बिजली उत्पादन के साथ ही नॉर्थ कर्णपूरा परियोजना से क्षमता के अनुरूप 1980 मेगावाट बिजली का उत्पादन होने लगा है. परियोजना ने लगभग 26 वर्षों के बाद मंजिल पाने में सफलता पायी है. छह मार्च 1999 को तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी ने 1980 मेगावाट उत्पादन क्षमतावाली एनटीपीसी की नॉर्थ कर्णपूरा परियोजना की आधारशिला रखी थी. कोयला मंत्रालय की आपत्ति के बाद वर्ष 2014 तक परियोजना के निर्माण में बाधा खड़ी रही. कोयला मंत्रालय उक्त जमीन के नीचे कोयला होने की बात कह पावर प्लांट के निर्माण पर रोक लगा दी थी, जिसके बाद टंडवा से लेकर दिल्ली तक यहां के किसानों ने आंदोलन किया था. तब जाकर कोयला मंत्रालय की ओर से ऊर्जा मंत्रालय को पावर प्लांट निर्माण की सहमति दी गयी थी. लगभग 14 हजार करोड़ रुपये की लागत पर 1980 मेगावाट उत्पादन क्षमतावाली नॉर्थ कर्णपूरा से उत्पादित बिजली से झारखंड समेत देश के पांच राज्य लाभान्वित होंगे. इनमें झारखंड को 500 मेगावाट, बिहार को 688 मेगावाट, पश्चिम बंगाल को 99, ओड़िशा को 435.6 तथा सिक्किम को 3.16 मेगावाट बिजली मिलेगी. सबसे खास बात यह है कि कोल परियोजना के नजदीक होने के कारण यहां से उत्पादित बिजली काफी सस्ते दर पर मिलेगी. नॉर्थ कर्णपूरा परियोजना देश की पहली पावर प्लांट है, जहां एयर कुल्ड कंडेशनर पर आधारित है. इसमें 35 प्रतिशत तक पानी की खपत को कम किया गया है. एअर कूल्ड तकनीक होने के कारण यहां बननेवाली गहरी जलाशय योजना को बंद कर दिया गया. पानी की आपूर्ति को लेकर तीन जल क्षेत्र बनाये गये हैं, जहां से पानी की आपूर्ति होती है. तीसरी इकाई से व्यवसायिक विद्युत उत्पादन लक्ष्य हासिल करने पर परियोजना प्रमुख एसके सुआर ने अधिकारियों व कर्मियों को बधाई दी है. इससे पूर्व 2023 के प्रथम तिमाही में पहली व 2024 के प्रथम तिमाही में दूसरे यूनिट से बिजली उत्पादन शुरू हो चुकी है.
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