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हर वर्ष लाखों रुपये वसूलते हैं लेवी
खौफ. केंदू पत्ते की खरीदारी में नक्सली संगठन रहते हैं हावी जिले में बड़े पैमाने पर केंदू पत्ते की खरीद-बिक्री होती है. प्रति मानिक बोरा 80 रुपये की दर से लेवी वसूली जाती है. चतरा : केंदू पत्ता खरीदारी का समय करीब आ रहा है, इससे क्षेत्र में नक्सली संगठन सक्रिय हो गये हैं. केंदू […]
खौफ. केंदू पत्ते की खरीदारी में नक्सली संगठन रहते हैं हावी
जिले में बड़े पैमाने पर केंदू पत्ते की खरीद-बिक्री होती है. प्रति मानिक बोरा 80 रुपये की दर से लेवी वसूली जाती है.
चतरा : केंदू पत्ता खरीदारी का समय करीब आ रहा है, इससे क्षेत्र में नक्सली संगठन सक्रिय हो गये हैं. केंदू पत्ता ठेकेदारों से लेवी को लेकर नक्सलियों की सक्रियता काफी बढ़ गयी है. हर वर्ष नक्सली संगठन लाखों रुपये लेवी वसूलते हैं. प्रति मानिक बोरा 80 रुपये की दर से लेवी की वसूली की जाती है.
सूत्रों के अनुसार संवेदक नक्सलियों से अनुमति लेने के बाद ही पत्ते की खरीदारी करते हैं. लेवी नहीं देने पर खलिहान व गाड़ी में नक्सलियों द्वारा आग लगा दी जाती है. हालांकि संवेदक नक्सलियों को लेवी देने की बात से इनकार कर रहे हैं. जिले में बड़े पैमाने पर केंदू पत्ता की खरीद-बिक्री होती है. वन विकास निगम विभाग द्वारा इस वर्ष चतरा के सभी जंगलों की नीलामी की गयी है.
प्रति सैंकड़ा 112 रुपये की दर से केंदू पत्ता की खरीदारी की जाती है. मुख्यमंत्री ने केंदू पत्ता मजदूरों की मजदूरी खाता के माध्यम से भुगतान करने का निर्देश संवेदकों को दिया है.
चार माह का राशन का जुगाड़ करते हैं लोग: जिले के ग्रामीण क्षेत्र के 80 प्रतिशत लोग केंदू पत्ता बेंच कर चार माह का राशन का जुगाड़ करते हैं. एक माह सभी काम छोड़ पूरे परिवार इसमें लगे रहते हैं.
एक माह में एक परिवार को करीब आठ से 10 हजार रुपये की कमाई करते हैं. जिले के लावालौंग, कुंदा, प्रतापपुर, हंटरगंज, कान्हाचट्टी, सिमरिया, पत्थलगड्डा, गिद्धौर, टंडवा प्रखंडों में सबसे अधिक केंदू पत्ता की खरीद-बिक्री होती है.
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