मनोहरपुर.
सारंडा के जराइकेला थाना क्षेत्र के कोलबोंगा गांव के पास लेबरागढ़ा जंगल में शुक्रवार दोपहर आइइडी विस्फोट में मारी गयी फूलो धनवार(18) का शव शनिवार को पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया. घायल बिरसी धनवार और सालमी कुंडलना का मनोहरपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में इलाज जारी है. सीएचसी प्रभारी डॉ. अनिल कुमार ने बताया कि दोनों की हालत में सुधार हो रहा है तथा उन्हें तीन दिन अस्पताल में रखा जायेगा. पुलिस के मुताबिक, घटना को लेकर जराइकेला थाना में अज्ञात नक्सलियों के विरुद्ध मामला दर्ज किया गया है. गांव में ही शव का अंतिम संस्कार किया जायेगा फूलो के शव का गांव में ही अंतिम संस्कार किया जायेगा. मां झालो धनवार का रो-रोकर बुरा हाल है. फूलो के साथ जंगल गयी दुलारी गोप, बिरसा धनवार और विकास धनवार ने बताया कि सुबह सात बजे हमलोग जंगल गये थे. पत्ता तोड़कर दोपहर करीब दो बजे लौट रहे थे. कहा कि जिस रास्ते से हमलोग गये थे, उसी रास्ते से लौट रहे थे. पर एक जगह फूलो ने रास्ता बदली दी. इसी से वह आइइडी की चपेट में आ गयी. बताया कि धमाका से फूलो हवा में काफी ऊपर तक फेंका गयी. जब नीचे गिरी तो हमने देखा कि उसके दोनों पैर के चिथड़े उड़ गये हैं. कुछ देर बाद उसकी मौत हो गयी.मेरी बेटी का क्या कसूर था : मां
एकलौती बेटी को खोने के गम में फूलो की मां झालो धनवार का रो-रोकर बुरा हाल है. झालो ने कहा कि हमें मारने के लिए बम क्यों बिछाया जा रहा है. मेरी बेटी से क्या दुश्मनी थी. हम गरीब लोग हैं. पत्ता और लकड़ी चुनकर जीवनयापन करते हैं. माओवादियों की जिनसे दुश्मनी है, उनसे लड़ें. झालो ने बताया कि एक सप्ताह पहले भी उसी रास्ते ग्रामीणों का आना-जाना हुआ था. फिर मेरी बेटी बम का शिकार कैसे हो गयी. इधर, सुरक्षाबल के जवान भी नहीं आते हैं फिर बम किसके लिए लगाया गया.
ग्रामीणों ने कहा-जंगल नहीं जायेंगे, तो जीवनयापन कैसे होगा
मनोहरपुर/आनंदपुर :
जराइकेला थाना क्षेत्र के कोलबोंगा जंगल में आइडी विस्फोट से मृत कोलबोंगा के बागरी टोला निवासी फूलो धनवार के गांव में मातम पसर गया है. पुलिस ने शनिवार को शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया. 12 ग्रामीणों के साथ पत्ता तोड़ने के लिए जंगल गयी फूलो वापसी के दौरान दोपहर दो बजे आइइडी की चपेट में आ गयी थी. 3 भाइयों व एक बहन में फूलो सबसे बड़ी थी.
सातवीं तक पढ़ाई करने के बाद घर का काम करती थी
झालो ने बताया कि फूलो सातवीं तक पढ़ाई करने के बाद घर के कामकाज में मदद करती थी. जंगल से पत्ता और लकड़ी लाती थी. कोलबोंगा के भागीरथी धनवार ने बताया कि जंगल जाना हमारी मजबूरी है. वनोउत्पाद, पत्ता, लकड़ी से हमारी आजीविका चलती है. मवेशियों को चराने के लिए भी हमें जंगल जाना पड़ता है. जंगल नहीं जायेंगे, तो भरण-पोषण कैसे होगा. दूसरी ओर, कोलबोंगा के ग्रामीणों ने बताया कि आइइडी विस्फोट से ग्रामीणों में भय का माहौल है.
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