जगन्नाथपुर. पश्चिमी सिंहभूम के जगन्नाथपुर प्रखंड अंतर्गत सियालजोड़ा पंचायत के गितिलिपि गांव में सोमवार की सुबह पुआल के ढेर में घर बनाकर खेल रहे चार बच्चे जिंदा जल गये. घटना के बाद गांव में कोहराम मच गया. मासूम के शवों को देख हर किसी का कलेजा फट गया, आंखों से आंसू थम नहीं रहे थे. गांव के तीन परिवार का सबकुछ उजड़ गया. घटना के बाद बच्चों के शवों का सदर अस्पताल में पोस्टमार्टम कराया गया. सोमवार की शाम करीब 7:20 बजे चारों बच्चों के शवों को गांव लाया गया. इसके साथ गांव में क्रंदन की आवाज गूंज रही थी. गांव के हर व्यक्ति को बच्चों के खोने का गम था. किसी ने सपने में नहीं सोचा था कि रोज पुआल में खेलने वाले बच्चों के साथ ऐसा होगा.
मुख्यमंत्री ने घटना पर जताया शोक : विधायक
घटना के बाद उपायुक्त कुलदीप चौधरी के साथ विधायक सोनाराम सिंकू भी गांव में पहुंचे. विधायक ने कहा कि उन्होंने कहा कि घटना से लोगों को सीख लेनी चाहिए. बच्चों के प्रति जागरूक रहने व ध्यान देने की आवश्यकता है. उन्होंने परिजनों से कहा कि घटना काफी दुखद है. मुख्यमंत्री को घटना की जानकारी है. उन्होंने शोक व्यक्त किया है. उन्होंने कहा कि मर्माहत परिजनों के साथ हैं. किसी तरह की परेशानी हो तो मुझसे मिलें. मैं हर दुख में आपके साथ हूं. पीड़ितों के आवास पर पहुंचे डीसी, एसपी व विधायक: विधायक, डीसी, पुलिस अधीक्षक आशुतोष शेखर, अपर उपायुक्त प्रदीप केरकेट्टा, डीसीएलआर अनिता केरकेट्टा, जगन्नाथपुर और नोवामुंडी की महिला थाना प्रभारी पूर्णिमा कुमारी के साथ प्रभावितों के आवास पर गये.
मुआवजा राशि लेने से मना कर रहे थे तीनों परिवार
प्रत्येक पीड़ित परिवारों को 4- 4 लाख का मुआवजा देने की घोषणा की. सभी प्रभावितों को एक- एक लाख का चेक प्रदान किया. विधायक ने तीन- चार दिन के बाद पूरी मुआवजा राशि उपलब्ध कराने का आश्वासन दिया. हालांकि प्रभावित ग्रामीण चेक नहीं लेना चाह रहे थे. सभी प्रभावित परिवार के लोगों का आंसू थमने का नाम नहीं ले रहा था. कहना था कि सहायता राशि लेकर क्या करेंगे, हमारा बच्चा तो चला गया. बुधनी नामक महिला कई बार चेक लेने से इनकार करती रही. लोगों के काफी समझाने पर किसी तरह चेक थमाया जा सका.
भगवान को ऐसा नहीं करना चाहिए : चंद्रमोहन
पांच वर्षीय बेटे साहिल को खोने वाले चंद्रमोहन सिंकु का परिवार सदमे में है. चंद्रमोहन ने रोते हुए बताया कि खपरैल के कच्चे मकान में रहता है. उसके दो बेटा थे. घटना में एक की जान चली गयी. इस घटना से पूरा परिवार मर्माहत है. उसने सपने में भी नहीं सोचा था कि बेटे के साथ ऐसा हादसा हो जायेगा. इस घटना से उसके परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है. बच्चा खेलने के लिए बाहर निकला था. मेरा बच्चा कितना रोया होगा. मदद के लिए मुझे पुकारा होगा. भगवान के ऐसा नहीं करना चाहिए. उसने बताया कि उसका बड़ा बेटा घर पर रहता है.
नियति ने इकलौते पुत्र को छीन लिया : अर्जुन चातर
हादसे में गांव के अर्जुन चातर ने अपना इकलौता पुत्र खो दिया. उसने बताया कि बेटे का नाम बहुत प्यार से प्रिंस रखा था. वह काफी चंचल था. इस वजह से परिवार के सभी लोगों को दुलारा था, लेकिन नियति को कुछ और मंजूर था. उसके निधन से पूरा परिवार टूट गया है. उसने बताया कि वह राजमिस्त्री का काम करता है. किसी तरह घर चल पाता है. वह काम के सिलसिले में ज्यादातर घर से बाहर रहता है. पत्नी गांव में रहती है. घर की हालत काफी खराब है. उसका पूरा परिवार मिट्टी से बने खपरैल के घर में रहता है.
मेरी आधी दुनिया तबाह हो गयी : सुकराम
हादसे में पांच वर्षीय बेटी भूमिका और दो वर्षीय बेटा रोहित को खोने से परिवार टूट गया है. पिता सुखराम सुंडी ने बताया कि उसके दो पुत्र और दो पुत्री थी. इस हादसे में दो बच्चों की मौत हो गयी है. मेरे घर की माली हालत काफी खराब है. मेहनत- मजदूरी कर अपने बच्चों को पाल रहे थे. घटना के समय मजदूरी करने गया था. इसी बीच सूचना मिली कि उसके एक बेटे और बेटी पुआल में खेलने के क्रम में झुलस गये. उन्हें एकाएक विश्वास नहीं हुआ. जब घटनास्थल पर पहुंचा, तो नजारा देख कलेजा फट गया. मेरी आधी दुनिया बर्बाद हो गयी.
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