चाईबासा. पश्चिमी सिंहभूम जिले के सदर अस्पताल चाईबासा में थैलेसीमिया पीड़ित बच्चों को एचआइवी संक्रमित खून चढ़ाने के मामले में विभाग सवालों के घेरे में हैं. स्वास्थ्य विभाग पर लापरवाही का आरोप लग रहा है. वहीं, झारखंड हाइकोर्ट और सरकार ने मामले को गंभीरता से लिया है. मामले की जांच के लिए मंगलवार को राज्य सरकार से गठित सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड केंद्रीय ऑर्गनाइजेशन की उच्च स्तरीय जांच कमेटी चाईबासा पहुंची. स्वास्थ्य विभाग की विशेष सचिव नेहा अरोड़ा के नेतृत्व में छह सदस्यीय टीम ने ब्लड बैंक चाईबासा की जांच की. स्वास्थ्य विभाग की विशेष सचिव नेहा अरोड़ा ने बताया कि पश्चिमी सिंहभूम जिले के 56 थैलेसीमिया पीड़ित बच्चों की स्क्रीनिंग की गयी. एनालाइजर मशीन से स्क्रीनिंग में पांच बच्चों में एचआइवी पॉजिटिव पाया गया. बाकी बच्चों में एचआइवी का लक्षण नहीं है.
ब्लड बैंक में रक्त संग्रहण, जांच, भंडारण व वितरण प्रक्रिया की जानकारी ली :
टीम ने ब्लड बैंक और संबंधित संस्थानों में रक्त संग्रहण, जांच, भंडारण और वितरण की पूरी प्रक्रिया की गहनता से जांच की. टीम ने सभी दस्तावेज की जांच की. ब्लड बैंक के कर्मियों से पूछताछ की. विशेष सचिव ने मरीजों के रजिस्ट्रेशन कक्ष व आष्युमान कक्ष में जाकर कार्यरत कर्मियों से कार्यों के बारे में जानकारी ली.किट से जांच पर रोक, एनालाइजर मशीन से टेस्ट के आदेश
स्वास्थ्य विभाग की विशेष सचिव नेहा अरोड़ा ने पत्रकारों को बताया कि इस गंभीर मामले को लेकर सिविल सर्जन डॉ सुशांतो कुमार माझी, ब्लड बैंक के मेडिकल ऑफिसर डॉ दिनेश चंद्र सावैयां व तकनीशियन मनोज कुमार पर कार्रवाई की गयी है. उन्होंने कहा कि झारखंड के सभी ब्लड बैंकों की जांच को उच्च स्तरीय टीम गठित की गयी है, ताकि घटना की पुनरावृत्ति न हो. सभी का प्रोटोकॉल के तहत जांच हो रही है. किट से जांच मना कर दिया गया है. एनालाइजर मशीन से ब्लड की जांच की जा रही है. सुरक्षित ब्लड उपलब्ध कराया जा रहा है. मौके पर उपायुक्त चंदन कुमार, सदर अस्पताल के उपाधीक्षक डॉ शिवचरण हांसदा, अस्पताल प्रबंधक आशीष कुमार आदि उपस्थित थे.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

