गुवा . पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा के नेतृत्व में सैकड़ों विस्थापित ग्रामीण, शिक्षित-अशिक्षित बेरोजगार, सप्लाई मजदूर, विभिन्न यूनियनों के कार्यकर्ता और ग्रामीण जनता ने गुवा जनरल ऑफिस का बुधवार को घेराव किया. मुआवजा दो, नौकरी दो, विस्थापितों को बसाओ, धोखा नहीं सहेंगे. इस आंदोलन की नींव तब पड़ी जब पिछले माह खदान में एक निर्माणाधीन भवन के ढहने से ठेका मजदूर कानुराम चाम्पिया की मौत हो गयी. प्रबंधन ने सार्वजनिक मंच पर 30 लाख का मुआवजा और नौकरी देने का वादा तो किया, लेकिन वास्तविकता में केवल 7.5 लाख की पहली किश्त दी गयी. बुधवार की शाम 4 बजे गुवा खदान के मजदूर पैदल मार्च करते हुए जनरल ऑफिस पहुंचे. मौके पर सीआइएसएफ और जिला पुलिस की भारी तैनाती रही. घेराव के बीच सेल गुवा प्रबंधन की ओर से प्रतिनिधिमंडल को वार्ता के लिए बुलाया गया, जिसमें कई बिंदुओं पर सहमति बनी. 30 लाख रुपये के मुआवजे की शेष राशि दो महीने में भुगतान करने और मृतक के आश्रित को अगस्त में सप्लाई मजदूर के रूप में रोजगार देने की बात कही गयी.
स्थानीय को प्राथमिकता मिले
गुवा खदान में आगामी बहाली में स्थानीय बेरोजगारों को प्राथमिकता,हर ठेका और एमडीओ परियोजना में 100% स्थानीय नियुक्ति की प्रतिबद्धता,गुवा रेलवे साइडिंग से विस्थापित हो रहे चार बस्तियों का दोबारा सर्वे और पुनर्वास योजना, खदान दुर्घटनाओं की रोकथाम के लिए सुरक्षा मानकों का सख्ती से पालन,पेयजल और बुनियादी विकास कार्यों को सीएसआर के तहत तेज़ किया जाएगा. इस मौके पर हेमराज सोनार, गोविंद पाठक, कुल बहादुर, मुकेश लाल, समीर पाठक, रमेश गोप, राजेश कोड़ा, लाल बाबु गोस्वामी, राकेश सुंडी, बोकारो स्टील वर्कर्स यूनियन इंटक से विश्वजीत तांती, जिला परिषद सदस्य देवकी कुमारी, पूर्वी पंचायत मुखिया चांदमनी लागुरी, पद्मिनी लागुरी आदि मौजूद थे.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

