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Chaibasa News : सदर में स्ट्रेचर व जमीन पर हो रहा इलाज

चाईबासा. मौसमी बीमारियों से अस्पताल में मरीजों की संख्या बढ़ी, बेड फुल होने से परेशानी बढ़ी

चाईबासा. सदर अस्पताल में मौसमी बीमारियों के प्रकोप से मरीजों की संख्या काफी बढ़ गयी है. मरीजों की संख्या बढ़ने से सदर अस्पताल के वार्ड फुल हो गये हैं. आलम यह है कि मरीजों का इलाज इमरजेंसी कक्ष के बाहर बरामदे या स्ट्रेचर पर किया जा रहा है. इससे मरीजों, चिकित्सकों एवं स्वास्थ्यकर्मियों को परेशानी हो रही है. वहीं मरीजों के अटेंडरों को भी परेशानी हो रही है. जैसे से ही लोग अस्पताल के बरामदे में पहुंचते हैं मरीजों के कराहने की आवाज सुनायी देती है. स्वास्थ्यकर्मी बताते हैं कि पहले से इलाज करा रहे मरीज, जो थोड़ा ठीक हो जाते हैं तो उसे छुट्टी दे दी जाती है. बेड खाली होने के बाद इमरजेंसी मरीजों को बेड दिया जाता है. बेड के अभाव में परिजन अपने मरीजों को दूसरे जगह ले जाते हैं.

इमरजेंसी वार्ड में 10 बेड अतिरिक्त लगे:

इमरजेंसी वार्ड में 28 बेड हैं. जबकि मरीजों की बढ़ती संख्या को देखकर मंत्री दीपक बिरुवा की पहल पर अस्पताल प्रशासन की ओर से इमरजेंसी वार्ड में 10 बेड अधिक लगाये गये हैं. पर मरीजों की संख्या इतनी बढ़ गयी है कि बेड कम पड़ रहे हैं. कभी-कभी एक बेड पर दो या जमीन पर मरीजों को सुलाकर उपचार किया जाता है.

बेड के लिए मरीजों के अटेंडर मचाते हैं शोर :

चिकित्सकों ने बताया कि अस्पताल में अभी वायल फीवर, सर्दी-खांसी के अधिक आ रहे हैं. वहीं, मलेरिया, टायफाइड के भी मरीज आते हैं. बुजुर्ग मरीज अधिक आते हैं. इमरजेंसी में कभी-कभी मरीजों की इतनी भीड़ हो जाती है कि चिकित्सकों के अलावा स्वास्थ्यकर्मियों को इलाज करने में परेशानी हो जाती है. मरीजों के अटेंडर बेड के लिए हल्ला मचाते हैं.

सेवानिवृत्त सेलकर्मी की मौत पर अस्पताल में हंगामा, इलाज में लापरवाही का आरोप

किरीबुरु स्थित सेल अस्पताल में सेवानिवृत्त सेलकर्मी रंजन दास की मौत के बाद रविवार को अस्पताल में तनावपूर्ण स्थिति बन गयी. मृतक के परिजन और मजदूरों संगठनों के प्रतिनिधियों ने अस्पताल में शव के साथ हंगामा शुरू कर दिया. मौत के पीछे अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही को जिम्मेदार ठहराया. परिजनों ने कहा कि रंजन दास लंबे समय से किडनी बीमारी से पीड़ित थे. उनका नियमित डायलिसिस चल रहा था. बावजूद समय पर उन्हें बड़े अस्पताल में रेफर नहीं किया गया. इससे उनकी जान चली गई. मृतक के भाई संजय दास ने बताया कि दो दिन पहले ही रंजन दास को अस्पताल से छुट्टी मिली थी.

रविवार को अचानक बिगड़ी तबीयत :

छह जुलाई की सुबह अचानक उनकी तबीयत बिगड़ने पर उन्हें दोबारा सेल अस्पताल लाया गया. संजय दास के अनुसार डॉक्टरों ने प्राथमिक उपचार शुरू किया, पर कुछ ही देर में रंजन दास ने दम तोड़ दिया. उन्होंने अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही बताया. मामले में प्रबंधन का कहना है कि रंजन दास के लिए विशेष पहल करते हुए रेफर प्रक्रिया की फाइल को आगे बढ़ाया गया था. पर सेल में ””सैप”” प्रणाली लागू होने से तकनीकी कारणों से रंजन दास का नाम सिस्टम में नहीं दिख रहा था. इससे रेफर में अड़चन हुई. प्रबंधन ने यह भी स्पष्ट किया कि पूर्व में सीजीएम धीरेन्द्र मिश्रा की पत्नी के मामले में भी ऐसी ही स्थिति उत्पन्न हुई थी.

सेल के उच्च पदाधिकारियों ने लोगों को समझाया

रंजन दास की मौत के बाद उनके परिजन, मजदूर संगठन के सदस्य और स्थानीय लोग शव के साथ अस्पताल परिसर में घंटों जमे रहे. स्थिति को शांत करने के लिए सेल प्रबंधन के कई अधिकारी मौके पर पहुंचे. परिजनों को समझाने का प्रयास करते रहे कि वे शव को अंतिम संस्कार के लिए ले जायें, पर वे लोग शाम तक अस्पताल में ही डटे रहे. मजदूर संगठनों ने रंजन दास की मौत को संस्थानिक लापरवाही करार देते हुए मामले की उच्चस्तरीय जांच की मांग की है.

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