बोकारो. जमीन विवाद, मारपीट, घरेलू हिंसा सहित अन्य छोटी-छोटी बातों पर तुरंत कोर्ट का रास्ता अख्तियार नहीं करना चाहिए. ऐसे मामलों को पहले सामाजिक स्तर पर निबटाने का पूरा-पूरा प्रयास करना चाहिए. हो सके तो मध्यस्थ का सहारा लेना चाहिए. ऐसे में मामला तुरंत सलट जाता है. साथ ही माहौल दोस्ताना बना रहता है. आपसी बातचीत से गंभीर मामले तक सुलझते हैं. कई लोग छोटे-छोटे मामले को लेकर कोर्ट जाते हैं. इसमें वर्षों लग जाता है. कोर्ट पर भी अतिरिक्त बोझ बढता है. छोटे मामले में सीधे पुलिस, कोर्ट कचहरी का चक्कर नहीं लगाना चाहिए. सामाजिक स्तर पर हर संभव निबटने का प्रयास करना चाहिए. आमलोगों को कानूनी रूप से जागरूक होने की भी जरूरत है. यह बातें रविवार को प्रभात खबर ऑनलाइन लीगल काउंसेलिंग में बोकारो सिविल कोर्ट के वरीय अधिवक्ता आयशा परवीन ने कही. गिरिडीह के अनिल यादव का सवाल : घर में जमीन का बंटवारा करना चाहता हूं. आपसी बंटवारा कागजी सही होगा या आपसी सलाह से ? अधिवक्ता की सलाह : आपसी सलाह के बाद भी कोर्ट से कागजात जरूर बनवायें. कागजी कार्रवाई भविष्य के लिए जरूरी है. आनेवाली पीढी को जमीन संबंधी समस्याओं से बचाव करेगा. अधिवक्ता की सलाह : कोई भी व्यक्ति न्यायालय जाने के लिए स्वतंत्र है. आपके मामले में यदि आपके हक में फैसला आया है. विरोधी पार्टी पुन: कोर्ट में चुनौती देना चाहता है, तो कोई रोक नहीं सकता है. आप पुन: कागजात को प्रस्तुत करें. सबकु छ सही है, तो जीत आपकी होगी. सरायढेला धनबाद के विजय साव का सवाल : मैंने एक व्यक्ति को एक लाख रूपया मदद दिया था. पैसा मुझे चेक के माध्यम से वापस कर रहा है. चेक बैंक में ले जाने पर बाउंस कर गया. अब क्या कर सकते हैं? अधिवक्ता की सलाह : पहले आपसी समन्वय बनाकर हल निकालने का प्रयास करें. ऐसा नहीं होने पर न्यायालय की शरण में जायें. आपका पैसा नश्चित रूप से आपको मिलेगा. बोकारो सेक्टर नौ के सरयू कुमार का सवाल : मेरे फोन-पे से अचानक रुपये गायब हो रहे हैं. ऐसे में क्या कर सकता हूं ? अधिवक्ता की सलाह : बोकारो के सेक्टर वन में साइबर थाना खुला है. वहां जाकर अपनी समस्या आवेदन के माध्यम से विस्तार से रखें. पुलिस अधिकारी के अनुसंधान के बाद ही न्याय मिलेगा. साथ ही फोन-पे को चेक करें. हो सके, तो पुन: मोबाइल को फारमेट कर इंस्टाल करें. बोकारो गोमिया के एजाज अहमद का सवाल : क्या कोई पुलिस अधिकारी बिना कारण से किसी को गाली-गलौज कर सकता है. ऐसा किया जा रहा है, तो फिर क्या करना होगा ? अधिवक्ता की सलाह : किसी को राइट नहीं है कि किसी भी व्यक्ति के साथ गाली-गलौज करें. पुलिस अधिकारी को अपने दायरे में रहना होगा. परेशानी होने पर वरीय पुलिस अधिकारी से शिकायत करें. सुनवाई नहीं होने पर कोर्ट का सहारा लें. बोकारो सेक्टर छह के आरबी महतो का सवाल : एक खतियान में छोटे बेटे का नाम है. जबकि बडे़ बेटे के पुत्र ने उस जमीन को बेच दिया. ऐसे में क्या उस जमीन को हासिल किया जा सकता है. अधिवक्ता की सलाह : जमीन जिसके नाम का है. उस जमीन को वही व्यक्ति बेच सकता है. दूसरे के बेचने से कोई हक नहीं जमा सकता है. जिसके नाम से जमीन है. कोर्ट में आवेदन दे. फैसला उसके पक्ष में जायेगा. बोकारो सिवनडीह के मो अकबर का सवाल : सरकारी कर्मचारी पर केस किये हैं. 15 माह हो गये कोई कार्रवाई नहीं हुई है. क्या कर सकते हैं? अधिवक्ता की सलाह : कार्रवाई नहीं होने की स्थिति में न्यायालय का सहारा लें. न्यायालय को पूरी बातों की जानकारी साक्ष्य के साथ उपलब्ध कराये. हर हाल में पुलिस अधिकारी को कार्रवाई करनी होगी. गिरिडीह के सुनील कुमार मंडल का सवाल : मेरे पिता ने दो शादी है. मैं पहली पत्नी का पुत्र हूं. मेरे पिता ने अपनीं संपत्ति को बेच दिया है. अब मेरे नाम की जमीन को बेचकर मुझे बेघर करना चाहते हैं. क्या किया जा सकता है. अधिवक्ता की सलाह : पिता की बेची हुई जमीन दादा जी के नाम की है, तो जमीन बिक्री रद्द हो जायेगी. साथ ही आपके पैसे से खरीदी आपकी जमीन को कोई दूसरा नहीं बेच सकता है. निश्चिंत रहें. पहले मामले में जमीन के कागजात के साथ न्यायालय का सहारा लें. न्याय हर हाल में मिलेगा. धनबाद से अनुरंजन का सवाल : एक स्कूटी खरीदा थी. स्कूटी बेकार निकला, तो मामला उपभोक्ता फोरम में ले गया. तीन साल हो गया है. अब तक कुछ नहीं हो पाया है. ऐसे में न्याय कैसे मिलेगा ? अधिवक्ता की सलाह : उपभोक्ता फोरम में न्याय मिलने में देरी हो रही है, तो फोरम के अध्यक्ष से मिलकर सारी जानकारी दें. हो सकता है कुछ पहलू छूट रही है, जिसकी जानकारी आप तक नहीं पहुंच पा रही है. मामले को समझें. फोरम से न्याय मिलेगा. इन्होंने भी पूछे सवाल : सिंदरी के आदित्य प्रकाश, धनबाद के अजीत कुमार, निरसा के विजय कुमार, झरिया के रंजीत सिंह, पेटरवार के विजय राम ने भी कानूनी सलाह ली.इन्होंने भी पूछे सवाल सिंदरी के आदित्य प्रकाश, धनबाद के अजीत कुमार, निरसा के विजय कुमार, झरिया के रंजीत सिंह, पेटरवार के विजय राम ने भी कानूनी सलाह ली.
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