राकेश वर्मा, बेरमो, कोयला मंत्रालय ने इस्पात क्षेत्र की मांग के अनुमान को ध्यान में रखते हुए मिशन कोकिंग कोल शुरू किया है. इस मिशन का लक्ष्य वर्ष 2029-30 तक घरेलू कच्चे कोकिंग कोल उत्पादन को 140 मीट्रिक टन तक बढ़ाना है. कोल इंडिया की सहायक कंपनियों से वित्त वर्ष 2029-30 तक कच्चे कोकिंग कोयले का उत्पादन बढ़ाने का लक्ष्य वित्त वर्ष 2029-30 तक लगभग 105 मीट्रिक टन है. बीसीसीएल और सीसीएल की पुरानी कई वाशरियों के आधुनिकीकरण और जीर्णोद्धार के साथ नयी कोकिंग वाशरी बनाने की योजना है. सीसीएल में पांच नयी वाशरी आने जा रही है. बीसीसीएल की दुगदा कोल वाशरी को जिंदल कंपनी को 30 साल के लिए लीज पर दे दिया गया है. मधुबन, सुदामडीह और महुदा में भी नयी कोल वाशरी बनने जा रही है. कोयला मंत्रालय ने निजी क्षेत्र को 14 कोकिंग कोल ब्लॉक नीलाम की हैं. इन ब्लॉकों से 2028-29 तक उत्पादन शुरू होने की उम्मीद है.
वर्ष 2030 तक 300 मिलियन टन स्टील उत्पादन करने के लिए बडे़ पैमाने पर कोकिंग कोल की जरूरत पड़ेगी. आने वाले समय में कोल इंडिया को भी अपना सालाना उत्पादन बढ़ा कर 12-13 सौ मिलियन टन करना होगा. कोयला उत्पादन बढ़ाने के लिए नयी खदानों या पुरानी खदानों का विस्तारीकरण जरूरी है. एक नयी खदान खोलने के लिए करीब 35-40 तरह के क्लीयरेंस की जरूरत पड़ती है. अब कोयला मंत्रालय ने सभी तरह के क्लीयरेंस के लिए एक अलग सेल का गठन कर दिया है. इसमें स्थायी अधिकारी की प्रतिनियुक्ति की गयी है, ताकि जल्द से जल्द फाइलों का निपटारा हो सके.आयात कम करने का है लक्ष्य
कोयला मंत्रालय विदेशों से आयात होने वाले कोकिंग कोल की मात्रा को कम करना चाहता है. वर्तमान में सालाना 200 मिलियन टन से ज्यादा कोकिंग कोल का आयात किया जा रहा है. कोल इंडिया की अनुषंगी इकाई बीसीसीएल व सीसीएल में सबसे ज्यादा कोकिंग कोल है. यही कारण है कि सीसीएल की चिरलंबित दामोदर नदी एवं रेलवे विपथन (डीआरएंडआरडी) परियोजना की रिवाइज पीआर अब कोल इंडिया बनाने जा रही है, ताकि इसके भूगर्भ से सैकड़ों मिलियन टन कोकिंग कोल का खनन किया जा सके.सीसीएल में पांच नयी कोल वाशरी अस्तित्व में आयेंगी
सीसीएल में सालाना 14.5 मिलियन टन क्षमता वाली पांच नयी कोल वाशरी अस्तित्व में आयेंगी. कथारा में तीन, ढोरी में तीन, स्वांग में 1.5, न्यू केदला में चार और रजरप्पा में सालाना तीन मिलियन टन क्षमता वाली वाशरी बनेगी. ग्लोबल कोल माइंस नामक निजी कंपनी करीब 400 करोड़ रुपये की लागत से कथारा में पुरानी वाशरी के निकट नयी वाशरी का निर्माण करेगी. सीसीएल के जीएम वाशरी के अनुसार स्वांग में भी सालाना 1.5 मिलियन वॉश्ड कोल क्षमता की कोल वाशरी बनेगी. इसके लिए इनवायरमेंटल क्लीयरेंस लेना है. इसके लिए ग्राम सभा की गयी है. एमपीडीआइ इसकी प्रोजेक्ट रिपोर्ट बना रहा है.
क्या कहना है सीसीएल सीएमडी का
सीसीएल सीएमडी निलेंदू कुमार सिंह का कहना है कि वर्ष 2030-32 तक स्टील उत्पादन के लिए एक सौ मिलियन टन कोकिंग कोल की जरूरत पड़ेगी. इसके लिए मंत्रालय स्तर पर मिशन कोकिंग कोल प्लान बनाया गया है. सीसीएल में पांच नयी वाशरी आने जा रही है. इसमें चार का टेंडर हो गया है. डीआरएंडआरडी परियोजना से अब छोटे छोटे पैच के बजाये वृहद पैमाने पर कोयला उत्पादन किये जाने की योजना है. .
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