बोकारो, आनंद मार्ग प्रचारक संघ की ओर से आनंद नगर में आयोजित तीन दिवसीय धर्म महासम्मेलन के दूसरे दिन शनिवार की शुरुआत प्रभात संगीत, कीर्तन व आध्यात्मिक साधना से हुई. मार्ग गुरु प्रतिनिधि आचार्य विकासानंद अवधूत ने श्री श्री आनंदमूर्ति के दर्शन के बार में बतात हुए कहा कि अपने मन को सभी सांसारिक आकर्षणों से हटाकर परमपुरुष की ओर केंद्रित करना. जब व्यक्ति अपने मन को ब्रह्मांड से जोड़ता है, तो उसे भक्ति कहते हैं, लेकिन जब वह सांसारिक चीजों में उलझ जाता है, तो उसे आसक्ति कहा जाता है. आचार्य ने कहा कि सच्चा भक्त मन से सरल, स्वच्छ और निर्मल होता है. वह वही सोचता है, वही कहता है और वही करता है. उसकी नीयत और कर्म में कोई अंतर नहीं होता. दूसरी श्रेणी के लोग भले ही अपने विचारों को प्रकट न करें, लेकिन वे जो कहते हैं, वही करते हैं. ऐसे लोग अपने कार्यों से अपनी सच्चाई साबित करते हैं और इसी वजह से समाज में उनकी प्रतिष्ठा बनी रहती है. लेकिन वास्तव में महान व्यक्ति वे होते हैं जिनका मन, वाणी और कर्म एक समान होते हैं. वहीं, आनंद मार्ग की सांस्कृतिक शाखा रेनासा आर्टिस्टस एंड राइटर्स एसोसिएशन रावा की ओर से प्रभात संगीत पर आधारित रंगारंग सांस्कृतिक संध्या का आयोजन किया गया. मौके पर आचार्य दिव्यचेतनानन्द अवधूत सहित काफी संख्या में आनंदमार्गी मौजूद थे.
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