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Bokaro News : मूलभूत सुविधाओं से वंचित रेलवे मध्य विद्यालय, नामांकन पर पड़ रहा असर

Bokaro News : जिले के सरकारी विद्यालयों का हाल : 51 साल पुराने विद्यालय में स्वच्छ पानी, भवन, बाउंड्रीवाॅल व शौचालय की स्थिति ठीक नहीं.

बोकारो, एक तरफ सरकार जहां प्राथमिक शिक्षा के स्तर को ठीक करने के लिए हरसंभव प्रयास कर रही हैं, तो वहीं दूसरी ओर बालीडीह स्थित रेलवे कॉलोनी में 1974 में स्थापित मध्य विद्यालय आज बदहाल हो गया है. उस स्कूल से पढ़ कर दर्जन स्टूडेंट्स डॉक्टर, इंजीनियर के साथ सरकारी संस्थानों में सेवा दिये, लेकिन स्थापना के 51 साल बाद भी यह स्कूल मूलभूत सुविधाओं से वंचित है. इसका असर नामांकन पर पड़ रहा है. आलम ये है कि स्कूल में पीने के लिए स्वच्छ पानी, विद्यालय भवन, बाउंड्रीवाल की स्थिति व शौचालय की समुचित व्यवस्था नहीं है. शिक्षकों ने बताया कि विद्यालय भवन की इमारतें बदहाल हो गयी हैं. वर्षाकाल में दीवारों में सीलन हो जाता है. स्कूल के टीचर कम संसाधन में बच्चों को पठन -पाठन के लिए प्रेरित करते हैं मगर साधन के अभाव में स्टूडेंट स्कूल आना नहीं चाह रहे हैं. इसका असर नामांकन पर भी पड़ रहा है. कभी इस स्कूल में 1000 से ज्यादा बच्चे पढ़ाई करते थे. लेकिन अब यहां मात्र 249 बच्चे पढ़ रहे हैं. शिक्षकों ने बताया कि भवन की मरम्मत के लिए रेलवे प्रशासन से मांग की गयी थी. लेकिन कोई पहल नहीं की गयी है.

शाम होते ही अड्डेबाजी हो जाती है शुरु, तड़ित चालक की भी चोरी

शिक्षक चंदन ने बताया कि सड़क किनारे यह विद्यालय है. पीछे साइड की बाउंड्री टूटी है. स्कूल बंद होने के बाद असामाजिक तत्वों का जमावड़ा लग जाता है. स्कूल की रखवाली के लिए गार्ड की तैनाती भी नहीं की गयी है. विद्यालय में लगी तड़ित चालक भी चोरी हो गयी है. जबकि इस इलाके में पुलिस की गश्ती हाेती है. मगर, स्कूल परिसर में मौजूद असामाजिक तत्वों पर इनकी नजर नहीं पड़ती है. स्कूल के प्राचार्य उदयनाथ साह का कहना है कि चोरी की घटना स्थानीय थाना और शिक्षा विभाग के आलाधिकारियों को जानकारी दी गयी है.

पानी की भी गंभीर समस्या

बता दें कि विद्यालय में कई साल पहले रेलवे प्रशासन की ओर से सप्लाई पानी का कनेक्शन लगा हुआ था. हालांकि अब रेलवे की ओर से पानी का कनेक्शन काट दिया गया है. विद्यालय में मात्र अब एक चापाकल है, पर उसमें से दूषित पानी निकलता है. यहां के बच्चों और शिक्षकों को घर से पानी लेकर आना पड़ता है. खासकर बच्चों का भोजन बनाने में रसोइयाें को बहुत ही परेशानी होती है. किचन रूम से चापाकल की दूरी अधिक है. चापाकल से बार- बार पानी लेकर भोजन बनना रसोइयाें दीदी के लिए संघर्ष से कम नहीं है.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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