बोकारो, आनंद मार्ग प्रचारक संघ का तीन दिवसीय धर्म महासम्मेलन का समापन रविवार को आनंद नगर में हुआ. कार्यक्रम की शुरुआत प्रभात संगीत, कीर्तन और आध्यात्मिक साधना से हुई. 72 घंटे बाबा नाम केवलम अखंड कीर्तन का भी समापन भक्तिमय वातावरण में हुआ. आचार्य विकासानंद अवधूत ने श्री श्री आनंदमूर्ति के दर्शन के बारे में बताया. परम पुरुष ही एकमात्र सच्चा बंधु है. उसने आपको अतीत में भी प्रेम किया था और भविष्य में भी करेगा. उसका नाम ही जगतबंधु है. मित्र के लिए एक और शब्द है सुहृद. सुहृद वे होते हैं जिनसे आपका कभी कोई मतभेद नहीं होता. सांसारिक जीवन में पति-पत्नी, माता-पिता सभी से कभी न कभी मतभेद होता ही है. लेकिन परम पुरुष के साथ कभी कोई मतभेद नहीं होता. वह जो कुछ आप करते हैं, उसमें सहमति प्रदान करता है. वह ऐसा क्यों करता है? क्योंकि वह आपका सच्चा मित्र है. भौतिक क्षेत्र में वह कुछ नहीं करता, लेकिन मानसिक क्षेत्र में वह आपको मार्गदर्शन देता है. भौतिक क्षेत्र में वह सीधे कुछ नहीं करता, इसलिए वह अच्छे और बुरे दोनों व्यक्तियों के लिए सुहृद है. वह हमेशा सुहृद रहता है. वही एकमात्र सुहृद है जो आपकी मृत्यु के बाद भी आपके साथ बना रहता है.
परम पुरुष के साथ नहीं होता है कभी कोई मतभेद
आचार्य ने कहा कि मनुष्य का वास्तविक मित्र कौन है, एक बार एक सभा में कुछ जिज्ञासुओं ने प्रश्न किया. धर्म ही एकमात्र सुहृद, यानी एक प्रकार का मित्र है जो आपकी मृत्यु के बाद भी आपके साथ बना रहता है. जो व्यक्ति आपके साथ जुदाई को सहन नहीं कर सकता, उसे बंधु कहा जाता है. जब कोई व्यक्ति मर जाता है, तो उसके माता-पिता, भाई-बहन क्या करते हैं वे जोर-जोर से रोते हैं, लेकिन दो-तीन दिन बाद वे फिर सामान्य हो जाते हैं. वे अपने दैनिक कार्यों में फिर से व्यस्त हो जाते हैं. कुछ दिनों या महीनों बाद वे उस व्यक्ति को भूल भी जाते हैं. इसलिए आप नहीं कह सकते कि आपके रिश्तेदार वास्तव में आपके बंधु हैं. इस दृष्टि से कोई भी आपका बंधु या सच्चा मित्र नहीं है. वहीं, रावा के कलाकारों ने रंगारंग नृत्य भी प्रस्तुत किया. मौके पर आचार्य दिव्यचेतनानन्द अवधूत सहित काफी संख्या में आनंदमार्गी मौजूद थे.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है