बोकारो, सदर अस्पताल प्रांगण स्थित एएनएम प्रशिक्षण केंद्र में सोमवार को ‘कुष्ठ : लक्षण, बचाव व उपचार’ पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया. डीएलओ डॉ सुधा सिंह व एनएलआर झारखंड रांची समन्वयक काशीनाथ चक्रवर्ती व जिला कुष्ठ निवारण सलाहकार डॉ सज्जाद आलम ने संयुक्त रूप से कार्यशाला की शुरूआत की. डॉ सुधा ने कहा कि कुष्ठ माइकोबैक्टीरियम लेप्राई नामक बैक्टीरिया के कारण होता है. यह मुख्य रूप से त्वचा, परिधीय तंत्रिकाओं, उपरी श्वसन पथ व आंखों को प्रभावित करता है. यह रोग संक्रामक है, लेकिन आसानी से नहीं फैलता है. समय पर इलाज से मरीज को संपूर्ण रूप से ठीक किया जा सकता है. डॉ आलम ने कहा कि कुष्ठ के प्रमुख लक्षणों में त्वचा पर लाल या रंगहीन धब्बे, खासकर हाथों व पैरों की त्वचा में कम संवेदना या कोई संवेदना न होना, हाथ-पैरों में सुन्नपन या झुनझुनी का होना, हाथों व पैरों पर दर्द रहित घाव या जलन का होना, मांसपेशियों में कमजोरी, चेहरे पर दाने या फफोले, कभी-कभी आंखों की रोशनी कम होना शामिल है. बचाव संभव है. समय रहते उपचार जरूरी है. इलाज के लिए राष्ट्रीय कुष्ठ रोग उन्मूलन कार्यक्रम (एनएलइपी) के माध्यम से मरीज का मुफ्त इलाज उपलब्ध है.
प्रतिरक्षण प्रणाली कमजोर होने पर कुष्ठ की आशंका
श्री चक्रवर्ती ने कहा कि कुष्ठ रोग आमतौर पर नाक व मुंह से निकलने वाली चिपचिपा पदार्थ के माध्यम से फैलता है. जो बात करने, छींकने या खांसने पर बाहर निकलती हैं. जिनकी प्रतिरक्षण प्रणाली कमजोर होती है. ऐसे लोगों में कुष्ठ रोग होने की आशंका अधिक होती है. श्री चक्रवर्ती ने कुष्ठ रोगियों के लिए सहायक उपकरण एमसीआर चप्पल, पोषण युक्त भोजन, पोषण के लिए प्रदत्त सरकारी राशि के बारे में जानकारी दी. मौके पर अजय कुमार, मणिशकर कुमार, भुवनेश्वर महतो, एएनएम सहित अन्य स्वास्थ्यकर्मी मौजूद थे.
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