बोकारो, सतकाम ऐसा कीजिए, जिसकी चर्चा लोग करें. लोग दूसरों को आपके सतकार्य के बारे में बतायें. जहां खुद बताना पड़ता है, वहां कुछ नहीं होता. ये बातें कथावाचक राजन जी महाराज ने कही. सेक्टर चार स्थित मजदूर मैदान में आयोजित नौ दिवसीय श्रीराम कथा के छठे दिन मंगलवार को राममंगल यात्रा की चर्चा हुई. राजन जी महाराज ने कहा कि माता सीता के स्वयंवर में प्रभु ने शिवजी की धनुष पिनाक तोड़ दी, पिनाक के टूटने से तीनों लोक में गर्जना हुई. सूर्य के सातों घोड़ा घबरा गये. पाताललोक में हलचल मच गयी. महेंद्र गिरी में तपस्या में लीन परशुराम जी का ध्यान भंग हो गया. लेकिन, प्रभु श्रीराम शांत चित थे. प्रभु अपने कार्य की गरिमा गाने की जगह शांत मुद्रा में थे.
कार्य करने के पहले श्रेष्ठजनों का आशीर्वाद लेना चाहिए
कथावाचक ने कहा कि स्वयंवर में सभी राजाओं ने अंतिम प्रण तक दम लगाकर शिवजी के पिनाक को उठाने की कोशिश की. लेकिन, पिनाक टस से मस नहीं हुआ. लेकिन, राम जी ने कोमल हाथ से धनुष का भंजन कर दिया. प्रभु राम पिनाक तोड़ने के पहले वहां मौजूद महर्षि विश्वामित्र को प्रणाम किया, मन ही मन गुरु वशिष्ठ व पिता दशरथ को प्रणाम किया. महादेव की अराधना की. इसके बाद धनुष का परिक्रमा किया. इसके बाद धनुष का भंजन किया. मर्यादा कहती है कि कार्य करने से पहले श्रेष्ठजनों का आशीर्वाद लेना चाहिए. इससे बड़ा से बड़ा काम भी आसान हो जाता है.हद से अधिक सीधा होना भी गुनाह, लेकिन विनम्र रहना जरूरी
राजन जी महाराज ने कथा चर्चा करते हुए कहा कि पिनाक टूटने के बाद क्रोध से तमतमाए प्रभु परशुराम जी का आगमन जनकपुर में हुआ. क्रोध से भरे परशुराम को देखकर मौजूद सभी राजा-महाराजा कांपने लगे. इसके बाद राजा जनक से पूरी घटनाक्रम बताया, लेकिन धनुष किसने तोड़ा यह नहीं बताया. इसके बाद क्रोधवश परशुराम जी ने पूरी सभा से सवाल किया. इस पर श्रीराम ने कहा कि धनुष आपके सेवक ने ही तोड़ा होगा. परशुराम क्रोध के कारण समझ नहीं रहे थे, तो लक्ष्मण जी क्षत्रिय परंपरा की बात कही. परशुराम जी ने फिर रामजी पर नजर तरेरी. लेकिन, विनम्रता भरी आवाज में रामजी ने कहा कि जितना बड़ा आपका गुस्सा है, उतना बड़ा मेरा अपराध नहीं है. सीधा होने का नुकसान है. राजन जी महाराज ने कहा कि मर्यादा कहती है कि हद से अधिक सीधा होना भी कभी-कभी गुनाह हो जाता है. लेकिन, विनम्र रहना जरूरी है.तेरी मंद-मंद मुस्कनियां…
विवाह प्रसंग के बीच बीच में राजन जी महाराज ने भजन से श्रद्धालुओं को झूमने पर विवश कर दिया. भजनों ने ऐसा समा बांधा, कि मानों जनकपुर बोकारो में ही उतर गया हो. तेरी मंद-मंद मुस्कनियां में…, सियह की कृपा है भाग्य मनाओ-मिली जनक पूरी ससुरारी…, तेरी मंद मंद मुस्कुनिया पर, बलिहार राघव जी…,राजन दूत हई, हम जनक राज दरबार के- चिट्ठी बा सरकार के ना… व अन्य भजन ने श्रद्धालुओं को भावविभोर कर दिया.
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